महाकुंभ : 'दो पैसे' सुन आश्चर्यचकित हो गया था वायसराय!
महाकुंभ : 'दो पैसे' सुन आश्चर्यचकित हो गया था वायसराय!

कुम्भनगर, 28 दिसंबर (हि.स.)। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ को लेकर जहां योगी सरकार कमर-कसकर तैयारी में जुटी है। कुम्भनगरी में देश और दुनिया के करोड़ों आस्थावानों के आगमन को लेकर पूरी तैयारी की जा रही है। सुरक्षा व व्यस्थाओं को लेकर चाक-चौबंद व्यवस्थाएं हाे रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तैयारी से जुड़ी सम्पूर्ण व्यवस्थाओं की निरन्तर समीक्षा भी कर रहे हैं, आवश्यक दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं तो वहीं कुम्भ को लेकर 'मात्र दो पैसे' सुन वायसराय आश्चर्यचकित हो गया था।
इतिहासविद् डॉ आनन्द शंकर सिंह ने बताया कि अंग्रेजी शासन में 1936-47 के मध्य भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल लार्ड लिनलिथगो सन् 1942 के प्रयागराज के कुम्भ में जाने के इच्छुक थे। उन्होंने महामना पं0 मदन मोहन मालवीय को साथ लेकर सम्पूर्ण मेला क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया। लाखों की संख्या में वहां उपस्थित श्रद्धालुजनों को देखकर वे आश्चर्यचकित हो गए,भक्तों की आपार जमात देखकर हैरत में पड़ गए और उन्होंने मालवीयजी से पूछा कि 'इस कुम्भ महोत्सव में भाग लेने का निमंत्रण देने में आयोजकों को अत्यधिक परिश्रम करना पड़ा होगा? आपके अनुमान से आयोजकों ने इस कार्य के लिए कितना धन व्यय किया होगा?
पण्डित मदनमोहन मालवीय ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा 'मात्र दो पैसे'। लोर्ड लिनलिथगो को महामना के इस कथन पर विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने मालवीयजी से प्रतिप्रश्न किया, 'पंडितजी, क्या आप मजाक कर रहे हैं? मालवीय जी ने अपनी जेब से पंचांग निकाला और जवाब दिया, 'इसका मूल्य दो पैसे है'। इसके द्वारा जन-समाज को यह जानकारी प्राप्त हो जाती है कि कुम्भ पर्व के लिए पवित्र कालखण्ड का समय क्या है? तदुपरान्त वे वहां स्नान के लिए स्वतः आ जाते हैं। इस हेतु किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिशः निमन्त्रण नहीं भेजा जाता है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश एक बार फिर देश और दुनिया के कोने-कोने से आस्थावानों के स्वागत को तैयार है। महाकुंभ का श्रद्धालु और पर्यटक जहां बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं योगी सरकार के लिए ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है। वर्ष 2025 का महाकुंभ अब तक का सबसे भव्य आयोजन होगा, जिसमें श्रद्धालुओं की संख्या के मामले में पिछले सारे रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद की जा रही है। अनुमान के मुताबिक महाकुंभ में 40-45 करोड़ श्रद्धालु तीर्थराज प्रयागराज पहुंचेंगे। दुनिया के कई देशों की जनसंख्या भी इतनी नहीं है। ये संख्या इसलिए भी अहम है, क्योंकि महाकुंभ ऐसा आयोजन है, जिसमें लोगों को आमंत्रित नहीं किया जाता, आस्था खुद ब खुद मन में हिलोरे मारती है और मोक्ष की कामना लिए लोग गंगा, यमुना और अन्त:सलीला सरस्वती के त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगाने के लिए पहुंच जाते हैं।