हरिद्वार, 21 जून (हि.स.)। सातवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सोमवार को योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के सान्निध्य में पतंजलि योगपीठ-।। के योगभवन सभागार में साधकों ने योगाभ्यास किया। वेद, उपनिषद, दर्शन और श्रीमद्भगवतगीता की ऋचाओं के वाचन के मध्य योग का शंखनाद करते हुए स्वामी रामदेव ने स्वस्थ जीवन और निरोगी काया की प्राप्ति के लिए योग को एकमात्र साधन बताया। उन्होंने कहा योग व्यष्टि से समष्टि तक की यात्रा है।
सभागार में यौगिक स्केटिंग, यौगिक जिम्नास्टिक, मल्लखम्भ, मल्लयुद्ध, यौगिक मुद्राओं और झांकियों के साथ योग कार्यक्रम की शुरुआत हुई। योग गुरु रामदेव ने कहा कि आज के इस युग में योग धर्म सर्वोपरि है। योगधर्म ही युगधर्म, राष्ट्रधर्म, सेवाधर्म, मानवधर्म, अध्यात्मधर्म और भागवतधर्म है। योग में ही हमारी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक, धार्मिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान है। योग फॉर हेल्थ, योग फॉर वेलनेस, योग फॉर पीस, योग फॉर हार्मोनी ये योग के विभिन्न आयाम हैं। योग ब्रह्मास्त्र है, जिससे हम अपने शरीरबल, मनोबल, आत्मबल को प्रबल करके अपने जीवन का निर्माण करते हुए अंत मे निर्वाण मोक्ष को प्राप्त होते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि हर कोई मात्र एक दिन के लिए नहीं प्रतिदिन योग करने का संकल्प ले।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि योग को विविध तरह से किया जा सकता है। उसके विविध अंग और आयाम हैं। योग करके विविध व्याधियों को नष्ट किया जा सकता है। स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा है कि योग ने आम जनता की ही नहीं चिकित्सकों के जीवन की रक्षा करने में बड़ा योगदान दिया है। यह निर्विवाद है कि योग में अपार शक्ति है। हम सबको उस शक्ति को पहचानकर जितना जल्दी हो सके योग से जुड़कर दुनिया को रोगमुक्त करते हुए हिंसा से बचाने का कार्य करना है।
प्रातः सरकारी प्रोटोकॉल के तहत प्रार्थना, ग्रीवा चालन, स्कंध संचालन, कटि संचालन, घुटना संचालन, खड़े होकर किए जाने वाले आसन (ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अर्ध-चक्रासन, त्रिकोणासन, बैठकर किए जाने वाले आसन भद्रासन, वज्रासन, अर्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन, वक्रासन, उदर के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (मकरासन, भुजंगासन, शलभासन, पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध-हलासन, पवनमुक्तासन, शवासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, शीतली) और भ्रामरी आदि योगासन-प्राणायाम का अभ्यास और ध्यान, संकल्प कराया गया। शांति पाठ के साथ योगसत्र की समाप्ति हुई।
इस अवसर पर पतंजलि योगसूत्र आधारित वेबसाइट का लोकार्पण आचार्य बालकृष्ण ने किया। इस वेबसाइट में पांच भाषाओं हिंदी, संस्कृत, जर्मन, फ्रेंच और अंग्रेजी में योगसूत्र उपलब्ध हैं।