नई शिक्षानीति एवं गुणात्मक शोध पर केन्द्रित रही कार्यशाला
नई शिक्षानीति एवं गुणात्मक शोध पर केन्द्रित रही कार्यशाला
प्रयागराज, 18 दिसम्बर (हि.स.)। स्कूल ऑफ लॉ ओरियेण्टल यूनिवर्सिटी की डीन इंदौर प्रो. प्रिया सेपाहा ने ‘नई शिक्षानीति’ पर अपने व्याख्यान में कहा कि 1986 की शिक्षानीति के तीन दशक बाद समाज काफी बदल चुका है और उसके अनुरूप नई शिक्षानीति का प्रारूप बनाया गया है। इसमें शत-प्रतिशत प्रवेश एवं विकास की व्यवस्था और समानता, समावेशी एवं सबकी पहुंच उच्च शिक्षा तक हो, ऐसी व्यवस्था की गई है। जिससे कोई भी नागरिक जो उच्च शिक्षित होना चाहता है, वह छूटे नहीं।
ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एण्ड टीचिंग उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सात दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के पांचवें दिन प्रो. प्रिया ने कहा कि शिक्षा को शोध विश्वविद्यालय, शिक्षण विश्वविद्यालय एवं स्वायत्तशासी महाविद्यालयों के रूप में तीन विविध श्रेणियों में विभाजित किया गया है। शिक्षा को विद्यार्थी केन्द्रित किया गया है। हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है और इसमें हिन्दी पर खासा जोर दिया गया है। हर स्तर पर हिन्दी का भी प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
राजनीति विज्ञान विभाग, बीएचयू के प्रो. टी.पी सिंह ने ‘सामाजिक विज्ञानों में गुणात्मक शोध’ विषय पर अंतः क्रियात्मक सत्र के माध्यम से चर्चा करते हुए कहा कि शोध एवं शिक्षण प्रशिक्षण उच्च शिक्षा की रीढ़ है। नई शिक्षानीति में शिक्षकों के बहुआयामी विकास के लिए शोध एवं नवाचार को विशेष रूप से केन्द्र में रखा गया है। सामाजिक विज्ञानों में जब शोध की बात की जाती है तो यहां प्राकृतिक विज्ञानों से इतर समग्र समाज में फैले लोग होते हैं। अतः आरम्भिक समय में विज्ञानों में इस बात का प्रयास किया गया कि हम विज्ञान की धारणाओं के आधार पर आज को समझें। यह वास्तविकता के अधिक निकट है और समकालीन समय में उपयोगिता के कारण इस पर काफी जोर दिया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ.मोहन्ती प्रसाद, डॉ.मंजरी नाथ, डॉ.सुजीत कुमार सिंह, डॉ. धर्मेन्द्र कुमार, डॉ.उत्कर्ष उपाध्याय, डॉ.करुणा गुप्ता, प्रो.मनोज कुमार दुबे आदि उपस्थित रहे।