सांस्कृतिक और सामाजिक के साथ आर्थिक पुनरुत्थान की भी नींव रखेगा महाकुम्भ
सांस्कृतिक और सामाजिक के साथ आर्थिक पुनरुत्थान की भी नींव रखेगा महाकुम्भ
-लोगों की जेब में आएगा पैसा तो बढ़ेगी क्रय शक्ति, मांग में होगा इजाफा, अधिक उत्पादन से होगी रोजगार में वृद्धि
महाकुम्भ नगर, 18 जनवरी (हि.स.)। तीर्थराज प्रयागराज में हो रहा महाकुम्भ 2025 न सिर्फ सांस्कृतिक और सामाजिक बल्कि आर्थिक पुनरुत्थान की दिशा में भी महत्वपूर्ण होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हाल ही में इसकी ओर संकेत किया था, जब उन्होंने कहा था कि महाकुम्भ से दो लाख करोड़ का व्यापार होगा। देश और प्रयागराज के अर्थ से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो 45 दिन तक चलने वाले इस महाआयोजन से उत्तर प्रदेश की जीडीपी में एक प्रतिशत या उससे भी ज्यादा की वृद्धि हो सकती है। यही नहीं, जीएसटी कलेक्शन में भी भारी उछाल देखने को मिलेगा। यह बात शनिवार को देश के मशहूर सीए और अर्थशास्त्री पंकज गांधी जायसवाल ने कही।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर से आ रहे श्रद्धालुओं द्वारा किए जा रहे खर्च से मांग बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा, रोजगार में वृद्धि होगी और छोटे से लेकर बड़े व्यापारियों की जेब में पैसा आएगा। यही नहीं, सरकार को भी इस आयोजन से बड़े पैमाने पर आय होगी, जिसका उपयोग प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर में होगा। कुल मिलाकर यह आयोजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल साबित होगा।
अर्थव्यवस्था में जान डाल देगा महाकुम्भ
देश के मशहूर सीए और अर्थशास्त्री पंकज गांधी जायसवाल के अनुसार, इस बार के महाकुम्भ के आंकड़े जो सरकार बता रही है उसके होने भर से ही नॉमिनल और रियल दोनों जीडीपी के आंकड़ों में एक प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। बतौर उत्तर प्रदेश सरकार देश विदेश से करीब 45 करोड़ लोग इस महाकुम्भ में आएंगे। वो काशी, अयोध्या, चित्रकूट समेत देश के कई हिस्सों में जाएंगे। यदि उनके घर से कुम्भ में आने से लेकर घर वापस आने तक का प्रति व्यक्ति औसत खर्च जोड़ लेंगे तो औसत करीब 10 हजार रुपए प्रति व्यक्ति हो सकता है। ऐसे में यदि 45 करोड़ में इस दस हजार प्रति व्यक्ति खर्च का गुणा करेंगे तो यह करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपए होता है। इसे हम दस फीसदी अनुमान रिस्क के नाम पर थोड़ा कम चार लाख करोड़ ही मान लेते हैं तो भी यह अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए कमाल का आंकड़ा है। कुम्भ का अर्थशाष्त्र तिमाही के आंकड़ों को तो मजबूत करेगा ही, साथ ही देश के वार्षिक राष्ट्रीय जीडीपी को भी मजबूत करेगा और अर्थव्यवस्था को भी।
निवेश का कई गुना रिटर्न मिलेगा
पंकज गांधी जायसवाल के अनुसार, सरकार का इस महाकुम्भ में हुए निवेश से कई गुना रिटर्न आ जाएगा। डबल इंजन की सरकार महाकुम्भ के आयोजन पर मिलकर करीब सोलह हजार करोड़ रुपए का खर्च कर रही है। अगर इसी को आधार मान लें तो सरकार की ही आय कई गुना हो जाएगी। मसलन अगर चार लाख करोड़ पर औसत जीएसटी का संग्रह निकालें तो यह करीब 50 हजार करोड़ के आसपास होगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर को मिलेगी मजबूती
प्रयागराज के प्रख्यात सीए अनिल गुप्ता के अनुसार महाकुम्भ के भावनात्मक पहलू के साथ ही आर्थिक पहलू भी बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार ने इस बार महाकुम्भ को लेकर जो निवेश किया है, उससे बड़े पैमाने पर रेवेन्यू भी जेनरेट होगा। रेलवे, ट्रांसपोर्ट, इलेक्ट्रिसिटी समेत कुम्भ मेले में रेंट पर जो भूमि आवंटित की गई है, इन सभी से व्यापक रेवेन्यू जेनरेट होगा। इन सभी को मिलाकर देखें तो जीएसटी और समस्त इंफ्रास्ट्रक्चर से सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपए आय की संभावना है। इस आय को सरकार जब इंफ्रास्ट्रक्चर में डालेगी तो निश्चित रूप से इसका असर इकॉनमी पर भी देखने को मिलेगा।
लोगों की बढ़ेगी आमदनी, सबका साथ सबका विकास को मिलेगा प्रोत्साहन
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड डीन वाणिज्य फैकल्टी एवं वित्त अधिकारी डॉ एके सिंघल ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने महाकुम्भ को भव्य बनाने में कोई कमी नहीं रखी है। इसका प्रयागराज समेत पूरे प्रदेश की इकॉनमी पर जबर्दस्त असर देखने को मिलेगा। देश विदेश से आ रहे करोड़ों लोग यहां आकर पैसा खर्च करेंगे। चाहे ट्रांसपोर्ट हो, लोकल वेंडर्स हो, शहर के दुकानदार हों,रिक्शा वाले हों, टैक्सी वाले हों, नाव वाले हों इनकी आमदनी बढ़ेगी। मेरे अनुमान के अनुसार लगभग 40 से 50 हजार करोड़ रुपए आएगा।