वाहन दुर्घटना में मौत को हत्या मान मुआवजा देने से अधिकरण का इंकार करना सही नहीं : हाईकोर्ट
36 लाख 92 हजार ब्याज सहित भुगतान करने का बीमा कम्पनी को निर्देश
प्रयागराज, 15 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रक व पुलिस जीप की टक्कर से कांस्टेबल की मौत को हत्या मानकर वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण द्वारा मुआवजा देने इंकार करने को सही नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि धारा 302 मे पुलिस चार्जशीट दाखिल होने से यह नहीं कह सकते कि ड्राइवर लापरवाही से वाहन नहीं चला रहा था।
कोर्ट ने दावा अधिकरण चंदौली के आदेश को संशोधित करते हुए बीमा कम्पनी को साढ़े सात फीसदी ब्याज के साथ 12 हफ्ते में 36 लाख 92 हजार रूपये का मुआवजा जमा करने का निर्देश दिया है। कहा है कि मुआवजा राशि के ब्याज पर आयकर की वसूली नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा मुआवजा राशि में से माता-पिता प्रत्येक को तीन-तीन लाख रुपए, तीन नाबालिग बच्चों को पांच-पांच लाख रुपए व 50 हजार का फिक्स डिपॉजिट, शेष राशि मृतक की पत्नी याची को उसके बचत खाते में जमा कर दिया जायेगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति डा के जे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने श्रीमती रेनू देवी व पांच अन्य की अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। वकील का कहना था कि वाहन दुर्घटना दावा अधिकरण चंदौली ने यह कहते हुए दावा खारिज कर दिया कि ट्रक को हत्या के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसे ड्राइवर की लापरवाही से हुई दुर्घटना नहीं माना जा सकता। 3 फरवरी 16 के इस आदेश को चुनौती दी गई थी।
मालूम हो कि 31 मई 2013 को डेढ़ बजे संत रविदास नगर में माधो सिंह टोल प्लाजा, औराई पर कांस्टेबल अशोक कुमार यादव इंस्पेक्टर के साथ जीप पर ड्यूटी में थे। उसी समय जानवरों को लेकर ट्रक प्लाजा पर आया। रोकने पर रूका, किंतु अचानक जीप को टक्कर मारकर भागा। जिसमें कांस्टेबल घायल हो गया, बाद में मौत हो गई। दुर्घटना बीमा दावा दाखिल किया गया था। कोर्ट ने अधिकरण के आदेश को सही नहीं माना और वारिसों को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है।