श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य काशी पहुंचे, शंखनाद और शहनाई की धुन पर स्वागत

श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य काशी पहुंचे, शंखनाद और शहनाई की धुन पर स्वागत

श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य काशी पहुंचे, शंखनाद और शहनाई की धुन पर स्वागत

—रथयात्रा चौराहे से श्रृंगेरी मठ तक निकली शोभायात्रा, शोभायात्रा में मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा रथ पर विराजमान रही

वाराणसी, 31 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ से श्रृंगेरी शारदा पीठ के शंकराचार्य श्री श्री विधुशेखर भारती शुक्रवार को धर्म नगरी काशी में पहुंचे। शंकराचार्य के पहली बार काशी आगमन पर उनका भव्य स्वागत रथयात्रा चौराहे पर किया गया। मां अन्नपूर्णा मंदिर के कुंभाभिषेक में भाग लेने आए शंकराचार्य का स्वागत मंदिर के महंत शंकर पुरी महाराज, श्रृंगेरी मठ के प्रबंधक चेल्ला अन्नपूर्णा प्रसाद, चेल्ला सुब्बा राव आदि ने माल्यार्पण कर किया।

रथयात्रा चौराहे पर शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती ने रथ पर विराजमान मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं माल्यार्पण किया। इसके बाद शोभायात्रा की शुरुआत हुई। रथयात्रा चौराहे से शुरू शोभायात्रा में सबसे आगे बैंड-बाजा, उसके पीछे शंखनाद करते बटुक, उसके पीछे डमरू दल, शहनाई वादन और उसके पीछे दक्षिण से विशेष रुप से शोभायात्रा के लिए आए नादस्वरम का दल था। सबसे अंत में रथ पर विराजमान मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा रही। शोभायात्रा में विशेष रुप से बनाई गयी कार के उपर शंकराचार्य विराजमान हुए। शोभायात्रा में आगे-आगे वैदिक मंत्रोच्चार करते हुए वैदिक ब्राह्मण चल रहे थे। महमूरगंज स्थित श्रृंगेरी मठ पहुंचने पर पूर्व काशी नरेश के वंशज डॉ अनंत नारायण सिंह ने माल्यार्पण कर शंकराचार्य का स्वागत किया। शोभायात्रा के समापन पर शंकराचार्य ने श्रृंगेरी मठ के नवनिर्मित गेट का लोकार्पण किया। श्रृंगेरी मठ के अंदर पहुंचने पर सर्वप्रथम शंकराचार्य ने यहां स्थापित हनुमान मंदिर और चंद्रमौलीश्वर भगवान की पूजा की। श्रृंगेरी मठ के मुख्य हाल में डॉ अनंत नारायण सिंह, महंत शंकर पुरी एवं चेल्ला चिंतामणि गणेश ने शंकराचार्य का चरण पादुका पूजन किया।

इस अवसर पर शंकराचार्य ने कहा कि हमारे सनातन धर्म के प्रचार के लिए चारों पीठों में दक्षिणाम्नाय पीठ का अलग वैशिष्ट्य है। 48 साल पहले आया संदर्भ आज फिर हम सबके सामने है। उस समय भी कुंभ मेला था। उस समय हमारे गुरुजी प्रयागराज से काशी आए थे। उस समय मां अन्नपूर्णा की नई मूर्ति की स्थापना कर भक्तों को अनुग्रहित किया था। आज गुरुदेव प्रत्यक्ष रुप से यहां उपस्थित नहीं है। लेकिन उनका आशीर्वाद हमलोगों के साथ है। उनके आशीर्वाद से आज 48 साल बाद पुनः यह अवसर आया है।

उन्होंने कहा कि कुम्भाभिषेक श्रृंगेरी शंकराचार्य के उपस्थिति में ही होता है। इस महाकुंभाभिषेक के लिए महंत शंकर पुरी स्वयं श्रृंगेरी आए थे। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में विभिन्न कार्यक्रम होने है। दशमी के दिन मां अन्नपूर्णा जी की प्रतिष्ठा होनी है। कार्यक्रम में महापौर अशोक तिवारी, पं. विशेश्वर शास्त्री द्रविड़, प्रो.राजाराम शुक्ल, अनिल नारायण किंजवडेकर, पं.चंद्रमौली उपाध्याय, बृजभूषण ओझा, चेल्ला जगन्नाथ प्रसाद, के वेंकट रमण, वीएस मणी, के.वी नारायणन, संतोष सोलापुरकर, षडानन पाठक, प्रदीप श्रीवास्तव ,राकेश तोमर आदि भी मौजूद रहे।