बीमा पाॅलिसी में नामित तो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देना बाध्यकारी नहीं

बीमा कम्पनी को नामित पत्नी को भुगतान करने का निर्णय लेने का निर्देश

बीमा पाॅलिसी में नामित तो उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देना बाध्यकारी नहीं

प्रयागराज, 16 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बीमा पॉलिसी में नामित पत्नी को बीमित पति की मौत की दशा में बीमा राशि की मांग के साथ उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने की आवश्यकता नहीं है। उसे नामिनी होने के नाते भुगतान पाने का अधिकार है। बीमा कानून की धारा 39 उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने को बाध्य नहीं करती।

इसी के साथ कोर्ट ने भारतीय जीवन बीमा निगम आजमगढ़ के प्रबंधक को निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने आजमगढ़ की श्रीमती सविता देवी की पुनर्विचार अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है।

इससे पहले कोर्ट ने बीमा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था। किंतु बीमा कंपनी ने पालिसी में नामित पत्नी याची को यह कहते हुए भुगतान करने से इंकार कर दिया कि उत्तराधिकार का विवाद चल रहा है। याची का कहना था कि उसके पति बृजेश कुमार मौर्य जालौन में सहायक अध्यापक थे। जिनका दस लाख का बीमा था। उनकी मौत के बाद पत्नी ने दावा किया जिसका उसके सास ससुर ने विरोध किया। पत्नी मृतक आश्रित कोटे में सहायक अध्यापिका पद पर नियुक्त हुई है।

कोर्ट ने उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने पर भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस आदेश पर पुनर्विचार करने की अर्जी देते हुए कहा गया कि क्योंकि पत्नी पालिसी में नामित है। इसलिए कानून के तहत उसे उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने का जरूरत नहीं है। जिस पर कोर्ट ने पुनर्विचार अर्जी स्वीकार कर यह आदेश दिया है।