अंधविश्वास से मुक्ति का संदेश देती नाटक "जीवन के रंग" का हुआ मंचन
अंधविश्वास से मुक्ति का संदेश देती नाटक "जीवन के रंग" का हुआ मंचन
प्रयागराज 06.12.2020, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के सहयोग और प्रबुद्ध फाउंडेशन के तत्वावधान में नागपुर महाराष्ट्र की प्रख्यात बहुजन साहित्यकार डा. सुशीला टाकभौरे द्वारा लिखित और रंगकर्मी रामबृज गौतम के निर्देशन में नाटक "जीवन के रंग" की प्रस्तुति उतर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के प्रेक्षागृह में की गई।
नाटक "जीवन के रंग" में जहाँ गीता एक गरीब दलित समाज की महिला है जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक नही है पति के शराबी होने के बावजूद सिलाई करके आपने तीन बच्चो को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाकर अपनी तर्क, बुद्धि और विवेक से काम लेकर और वैज्ञानिक दृष्टि से सोचकर अंधविश्वास में फंसना, उलझना को पागलपन करार साबित करते हुए बड़े बेटे प्रकाश को बहुत बड़ा साहित्यकार, विनोद को इंजीनियर एवं सबसे छोटी बेटी रश्मि को डाक्टर बनाती है तो वही इसी के विपरीत गीता की सहेली सीता जो सम्भ्रान्त परिवार से होने के बावजूद अंधश्रद्धा एवं भ्रम के मकड़जाल में फांसी हुई है, मां न वन पाने के कारण चारो धाम मंदिर, मस्जिद, चर्च एवं गुरुद्वारे में मत्था टेकने के बाद भी उसकी गोद सुनी रह जाती है। गीता की सलाह पर सीता अनाथालय से एक बच्चा गोद लेती है और उस बच्चे को अपनापन देकर अंततः गीता के विचारों पर अपनी सहमति दे देती है। गरीबों, शोषितो, पीड़ितों एवं दबे-कुचले की सेवा के लिए समाजवादी संविधान बनाकर समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और सबको बराबर का न्याय दिलाने और महिलाओ को पुरषों के बराबर अधिकार दिलाने वाले राष्ट्रनायक डॉ बाबासाहेब भीमराव रामजी अंबेडकर की विचारधारा के प्रचार-प्रसार को एक समाज कार्य मानकर धार्मिक अंधविश्वास जो सच्चाई को देखने से रोकता है खुली आँखों के सामने देश मे चल रहे शोषण, अन्याय, अनाचार, दुराचार, के विरुद्ध संघर्ष करने के आंदोलन से जुड़ जाती है और पिछड़े समाज के उत्थान के लिए घर परिवार से आगे बढ़कर समाज कार्य ही देश के लिए सबके कर्तव्य होते है को करना है इस नाटक का मुख्य उद्देश्य है।
इस नाटक में आदित्य कुमार-रामेश्वर, संध्या गौतम, समृद्धि गौतम-गीता, नीलम गौतम, प्रज्ञा गौतम-सीता, अंकित गौतम-प्रकाश, इशांत-विनोद, हर्षिता गौतम-रश्मि, नवीन कुमार-भिक्षु के किरदार में अपने अभिनय के साथ न्याय किया।नवीन कुमार का भिक्षु और आदित्य कुमार का एक शराबी रामेश्वर के किरदार के अभिनय ने दर्शकों को बीच-बीच मे हंसाने का काम किया तो पूरे नाटक में सीता-गीता का कथोपकथन महिलाओं को अंधविश्वास, पाखण्ड और कुरीतियों से मुक्ति का संदेश तार्किक ढंग से देता रहा। देवेन्द्र कुमार की मंच सज्जा, हिमांशु जैसवार की म्यूजिक, सपना गौतम की रूप सज्जा, लता गौतम का बस्त्र सज्जा सराहनीय रहा। नाटक में संतलाल पटेल का प्रकाश डिजाईन भी उत्कृष्ट रहा।