ठंड के मौसम में शरीर की गर्मी बाहर निकलना है जरूरी:वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य

ठंड के मौसम में शरीर की गर्मी बाहर निकलना है जरूरी:वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य

ठंड के मौसम में शरीर की गर्मी बाहर निकलना है जरूरी:वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य

कानपुर, 15 जनवरी (हि.स.)। ठंड के कारण शरीर की गर्मी शरीर से बाहर नहीं निकलती जिसके परिणामस्वरूप शरीर के अग्नि प्रखर हो जाती है, ऐसे में इस मौसम में भारी आहार जैसे-घी, तेल से बने खाद्य पदार्थ, गुड़ और मौसम के अनुसार फल और सब्जियाँ पर्याप्त मात्रा में सेवन करना चाहिये। भूख लगने पर भोजन न करने से विभिन्न प्रकार के रोग हो जाते हैं। ये बातें बुधवार को स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. वंदना पाठक ने कहीं।



छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केन्द्र राजकीय बाल गृह कानपुर और लाल बंगला स्थित आरोग्य क्लीनिक में स्वर्ण प्राशन कार्यक्रम किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. वंदना पाठक, संस्थान के निदेशक डा. दिग्विजय शर्मा, अनुराग मिश्रा, पंकज कुमार आदि ने दीप प्रज्वलन व धन्वन्तरि पूजन के साथ किया। इस कार्यक्रम में करीब 120 बच्चों ने भाग लिया जिन्हें निःशुल्क रूप से स्वर्णप्राशन कराया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डा. वंदना पाठक ने उपस्थित अभिभावकों और लोगों को हेमंत ऋतु के अनुसार आहार-विहार और रोगों से बचाव पर विशेष रूप से परामर्श देते हुए कहा कि आयुर्वेद कि यह विधा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। भारतीय संस्कृति में प्रचलित 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास में विशेष योगदान करता है। जिन बच्चों में यह संस्कार नियमित रूप से होता है, उनमें मौसम और वातावरणीय प्रभाव के कारण होने वाली समस्याएं अन्य बच्चों की अपेक्षा कम देखी गयी हैं। स्वर्णप्राशन में प्रयुक्त होने वाली औषधि स्वर्ण भस्म, वच, गिलोय, ब्राह्मी, गौघृत, मधु आदि द्रव्यों के सम्मिश्रण से बनाया जाता है। उन्होंने कहा बच्चों को नियंत्रित करने के लिए डांटना, पीटना आदि भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः बच्चों को प्यार से समझाना चाहिए। उन्होंने बच्चों को मौसम के अनुसार फल और सब्जियों के सेवन के साथ-साथ स्वच्छता स्नेहपूर्ण लालन पालन पर विशेष बल दिया।