हिन्दुस्तानी एकेडेमी में पांच दिवसीय ’साहित्य कुम्भ’ का शुभारम्भ

हिन्दुस्तानी एकेडेमी में पांच दिवसीय ’साहित्य कुम्भ’ का शुभारम्भ

हिन्दुस्तानी एकेडेमी में पांच दिवसीय ’साहित्य कुम्भ’ का शुभारम्भ

प्रयागराज, 03 मार्च हिन्दुस्तानी एकेडेमी के गांधी सभागार में आज से डॉ. कन्हैया सिंह की स्मृति में पांच दिवसीय ’साहित्य कुम्भ’ का शुभारम्भ हुआ। यह कार्यक्रम नया परिमल, हिन्दुस्तानी एकेडेमी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।



इस अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी के सचिव डॉ. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने सनातन परम्परा की वैज्ञानिकता पर जोर दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. लालसा यादव ने प्रयाग की साहित्यिक धरोहर पर प्रकाश डाला। प्रो. योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनि अरण्य में चिंतन करते थे और लोक में उसे प्रसारित करते थे। उन्होंने साहित्य की संश्लिष्ट प्रकृति पर भी चर्चा की।

उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सदस्य डॉ.राजनारायण शुक्ल ने भारतीय भाषाओं के विविध साहित्यिक योगदान का उल्लेख करते हुए पत्राचार को हिन्दी में करने और साहित्य को न्याय की दृष्टि से प्रस्तुत करने का आग्रह किया। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.उदय प्रताप सिंह ने डॉ. कन्हैया सिंह को मानवता का प्रतीक बताया और भारतीय भाषाओं की मूल संवेदना को एक बताया।

कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ‘भारत में साहित्य की प्राचीन परम्पराएं’ विषय पर व्यापक चर्चा हुई। प्रो. अमरेन्द्र त्रिपाठी ने भारतीय साहित्यिक चेतना में इस्लामिक आक्रमण के प्रभाव पर चर्चा की। प्रो. सर्वेश सिंह ने डॉ. कन्हैया सिंह के साहित्य का गहन विश्लेषण किया और आज के साहित्य में तत्सम शब्दों के अभाव की ओर ध्यान आकृष्ट किया। प्रो.रामकिशोर शर्मा ने भारतीय साहित्य की मूल चेतना को धर्म बताया और जनतांत्रिकता को इसका अभिन्न हिस्सा बताया।

सत्र की अध्यक्षता कर रहे प्रो.त्रिभुवन नाथ शुक्ल ने साहित्य के पारंपरिक संदर्भों को रेखांकित करते हुए कहा कि खंडित व्यक्ति द्वारा रचा गया साहित्य कभी व्यापक नहीं हो सकता। कार्यक्रम के अंत में सभी वक्ताओं एवं विद्वतजन का धन्यवाद नया परिमल के सचिव विनम्र सेन सिंह ने किया।

इस अवसर पर हिन्दुस्तानी एकेडेमी के कोषाध्यक्ष दुर्गेश कुमार सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रो डॉ.अमितेश, डॉ.विजय रविदास, डॉ. चितरंजन, शोधार्थी बालकरन सिंह, चन्द्रशेखर कुशवाहा, हर्षित उपाध्याय सहित अनेक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।