सम्भल हिंसा में दो पीआईएल पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई

सम्भल हिंसा में दो पीआईएल पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई

सम्भल हिंसा में दो पीआईएल पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई

प्रयागराज, 03 दिसंबर (हि.स.)। इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार को सम्भल हिंसा से जुड़ी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई होने की सम्भावना है। एक मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग को लेकर है और दूसरी घटना में मारे गए और गिरफ्तार लोगों की सूची जारी करने आदि की मांग है। एक जनहित याचिका चीफ जस्टिस अरुण भंसाली एवं जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ के समक्ष और डॉ आनंद प्रकाश तिवारी की जनहित याचिका जस्टिस एमसी त्रिपाठी एवं जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की पीआईएल में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 37 के अनुसार गिरफ्तार व्यक्तियों के नामों को जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष-पुलिस स्टेशन के बाहर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिए जाने की मांग की गई है। साथ ही हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के नाम और जिस अपराध के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया है, उसकी सूची बनाने का निर्देश दिए जाने की मांग भी की गई है। यदि हिरासत 24 घंटे से अधिक अवधि के लिए है, तो पुलिस नियंत्रण कक्ष-पुलिस स्टेशन के बाहर क्या कदम उठाए गए हैं।

इसके अलावा 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद हुई मौतों की संख्या और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ जानकारी और स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग भी की गई है। साथ ही यह मांग भी की गई है कि पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की हैं, उन्हें वेबसाइट पर अपलोड करें और उसे आरोपितों व पीड़ितों को तुरंत उपलब्ध कराएं।

डॉ आनंद प्रकाश तिवारी की ओर से दाखिल जनहित याचिका में पुलिस प्रशासन पर भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाते हुए कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है। याचिका स्थानीय लोगों के हित को देखते हुए जनहित में दाखिल किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि हाई कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एसआईटी से जांच कराई जाए। जनहित याचिका में फायरिंग, बर्बरता में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग की गई है। कहा गया है कि हाई कोर्ट हिंसा में सम्भल के डीएम और एसपी के साथ सम्बंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच एसआईटी से कराएं। याचिका में सर्वे से लेकर हिंसा की पूरी घटना की विस्तृत जांच सीबीआई से कराने की मांग भी की गई है।