गणेश चतुर्थी : काशी विश्वनाथ की नगरी भगवान गणेश की आराधना में लीन
चहुंओर गणपति बप्पा मोरिया की गूंज, बड़ा गणेश दरबार में दर्शन पूजन के लिए उमड़ी भीड़
वाराणसी, 07 सितम्बर । भादों मास की गणेश चतुर्थी पर शनिवार को श्री काशी विश्वनाथ की नगरी भगवान गणेश की आराधना में लीन रही। सुबह से ही लोहटिया स्थित बड़ा गणेश दरबार सहित सभी गणेश मंदिरों में व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजन भी दर्शन पूजन के लिए पहुंचते रहे। पूजा पंडालों में भी वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की गई। श्री काशी विश्वनाथ धाम में भी हर्षोल्लास के साथ गणेश उत्सव मनाया गया। मंदिर न्यास के सदस्य प्रो. चंद्रमौली उपाध्याय सहित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति में भगवान शिव व माता पार्वती के प्रिय प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश का पूजन संपन्न हुआ।
शिव पुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश जी की अवतरण-तिथि होती है। सनातन शास्त्रों के अनुसार इसी दिन रिद्धि सिद्धि के दाता, विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का अवतरण हुआ था। गणेश जी को समस्त देवताओ में प्रथम पूज्य देव कहा गया है। श्री गणेश जी सुख समृद्धि दाता भी हैं। इनकी कृपा से परिवार पर आने वाले संकट और विध्न दूर हो जाते हैं। उत्सव में सभी मंगल कार्यक्रम में पौरोहित्य पं० श्रीकांत मिश्र, सहयोगी अर्चक एवं शास्त्री गण ने भगवान गणेश का विधिवत पूजन—अर्चन किया। इसी क्रम में ठठेरी बाजार स्थित शेरवाली कोठी में काशी मराठा गणेश उत्सव समिति की ओर से आयोजित गणेशोत्सव में पहले दिन मुम्बई के सुप्रसिद्ध लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विराजित कराया गया।
समिति के वरिष्ठ संरक्षक माणिक राव पाटिल, संरक्षक संतोष पाटिल, सुहाष पाटिल, सलाहकार लालजी पाटिल, हनुमंत राव मोरे, चंद्रशेखर शिंदे, अध्यक्ष आनंद राव सूर्यवंशी, महामंत्री अन्ना मोरे की देखरेख में मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के बीच अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। इस दौरान 'गणपति बप्पा मोरया' व 'प्रभु आला सदनाला, आनंद मनाला झाला' का उद्घोष भी होता रहा। छप्पन विनायकों की नगरी काशी में शहर भर के पूजा पंडालों में गणपति के विविध स्वरूपों की नयनाभिराम प्रतिमाओं की सविधि मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई। गणेश चतुर्थी पर वैदिक मंत्रोच्चार और विधिविधान से पूजन के साथ पंडालों और श्रद्घालुओं के घर पर गणपति बप्पा विराजे। पंडालों में कहीं पांच दिन तो कहीं सप्ताह भर भगवान गणेश की आराधना के साथ विविध अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता भी होगी।