अमेरिकी संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन के NIH अनुदान रद्द करने के फैसले को अवैध ठहराया, राष्ट्रपति को बड़ा झटका

अमेरिकी संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन के NIH अनुदान रद्द करने के फैसले को अवैध ठहराया, राष्ट्रपति को बड़ा झटका

अमेरिकी संघीय जज ने ट्रंप प्रशासन के NIH अनुदान रद्द करने के फैसले को अवैध ठहराया, राष्ट्रपति को बड़ा झटका

वाशिंगटन, 17 जून । संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक संघीय अदालत से एक महत्वपूर्ण झटका लगा है। मैसाचुसेट्स के संघीय जिला जज विलियम यंग ने सोमवार, 17 जून को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के कुछ अनुसंधान अनुदानों को रद्द करने वाले ट्रंप प्रशासन के निर्देश को 'अमान्य और अवैध' घोषित कर दिया। रद्द किए गए इन अनुदानों में विशेष रूप से एलजीबीटीक्यू समुदाय से संबंधित शोध परियोजनाएं और अन्य महत्वपूर्ण अनुसंधान शामिल थे। यह फैसला राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि यह सीधे तौर पर उनके प्रशासन द्वारा किए गए वित्त पोषण संबंधी निर्णयों को चुनौती देता है। यह जानकारी एबीसी न्यूज चैनल की एक रिपोर्ट के अनुसार सामने आई है।

जज यंग ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि ट्रंप प्रशासन का यह निर्देश संघीय कानून का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस प्रकार के अनुसंधान अनुदानों को मनमाने ढंग से रद्द करने में नस्लीय भेदभाव के तत्व शामिल हो सकते हैं, जो इसे और भी अधिक विवादास्पद बनाता है।

यह पूरा मामला तब अदालत पहुंचा जब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ से अनुदानों को रद्द करने के निर्देश के तुरंत बाद एक प्रमुख अमेरिकी सार्वजनिक स्वास्थ्य संघ (American Public Health Association) और अमेरिका के 16 राज्यों के एक समूह ने मिलकर एक मुकदमा दायर किया। मुकदमे में यह आरोप लगाया गया था कि ट्रंप प्रशासन के इस निर्देश के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण अनुसंधान परियोजनाओं से $1.8 बिलियन डॉलर तक की अनुमानित भारी कटौती हुई है, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अपनी सुनवाई के बाद, जज यंग ने अपने फैसले में रद्द किए गए सभी अनुदानों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने (restor करने) का आदेश दिया।

इस फैसले पर ट्रंप प्रशासन की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया आई है। स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग (Department of Health and Human Services - HHS) के संचार निदेशक एंड्रयू निक्सन ने एक बयान जारी कर कहा कि एजेंसी शोध के लिए वित्त पोषण समाप्त करने के अपने मूल निर्णय पर अभी भी कायम है। निक्सन ने यह भी पुष्टि की कि विभाग अदालत के इस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने और फैसले पर रोक लगाने (स्टे) की मांग करने सहित सभी उपलब्ध कानूनी विकल्पों पर गहन विचार कर रहा है।

दूसरी ओर, मुकदमे के वादीगणों (plaintiffs) में शामिल रहे अमेरिकियों ने अदालत के इस फैसले का पुरजोर स्वागत किया है। याचिकाकर्ताओं में से एक, हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ब्रिटनी चार्लटन ने एक बयान में अदालत के फैसले पर गहरी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अदालत ने सरकार के कार्यों की स्पष्ट रूप से निंदा की है और महत्वपूर्ण जीवन रक्षक अनुसंधान अनुदानों को बहाल करने का एक न्यायसंगत और आवश्यक आदेश दिया है। इस फैसले को अनुसंधान समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिवक्ताओं के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।