प्रयाग में भगवान के बारह स्वरूप विद्यमान : नरेन्द्रानंद सरस्वती

प्रयाग में भगवान के बारह स्वरूप विद्यमान : नरेन्द्रानंद सरस्वती

प्रयाग में भगवान के बारह स्वरूप विद्यमान : नरेन्द्रानंद सरस्वती

प्रयागराज, 15 दिसम्बर । सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ यहां किया था। इसी प्रथम यज्ञ के ’प्र’ और ’याग’ अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और इस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहां वेणीमाधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहां बारह स्वरूप विद्यमान हैं, जिन्हें ’द्वादश माधव’ कहा जाता है।

उक्त विचार रविवार को श्री काशी सुमेरुपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ मेला में शिविर हेतु आवन्टित भूमि का पूजन करने के उपरान्त व्यक्त किया। इस अवसर पर निर्विघ्न सम्पन्नता की कामना से नवग्रह, चौसठ योगिनी, गंगा, यमुना, त्रिवेणी के साथ पृथ्वी का सम्पूर्ण वैदिक विधि-विधान से पूजन किया गया।

स्वामी बृजभूषणानन्द सरस्वती ने बताया कि इस अवसर पर स्वामी प्रकृष्टानन्द सरस्वती सहित श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अनेक श्री महन्त, थानापति एवं सन्यासी के साथ-साथ सुनील शुक्ल, विनोद त्रिपाठी, पं त्रयम्बक द्विवेदी, श्री शंकराचार्य वेद महासंस्थानम् के बटुक आदि उपस्थित थे।