आयुष्मान के जरिये कैंसर के मरीजों का इलाज और बेहतर होगा
पीपीपी मॉडल पर आयुष्मान से जोड़े जायेंगे और अस्पताल
लखनऊ, 27 अप्रैल । आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कैंसर की स्क्रीनिंग, जांच, इलाज और रेफरल को और बेहतर बनाने पर स्टेट हेल्थ एजेंसी साचीज हरसम्भव प्रयास कर रही है। इसी को लेकर बनाये गए स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप की दूसरी बैठक गुरुवार को प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में कैंसर के इलाज में आने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा हुई और लैंडस्केप ऑफ कैंसर केयर प्रोविजन इन उत्तर प्रदेश पर स्टडी रिपोर्ट लॉन्च की गयी।
बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने कहा कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ की डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव व डॉ. आनन्द मिश्रा द्वारा आयुष्मान भारत के तहत कैंसर के इलाज को लेकर तैयार की गयी स्टडी रिपोर्ट सभी मेडिकल कालेजों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और स्टेक होल्डर से साझा की जाए।
प्रमुख सचिव चिकित्सा ने कहा कि रिपोर्ट पर आने वाले सुझावों के बारे में शासन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण को भी अवगत कराया जाए, ताकि जो बिंदु और पैकेज किन्हीं कारणों से छूट गए हैं उन्हें जगह मिल सके। कैंसर की शीघ्र स्क्रीनिंग, जांच और इलाज की सुविधा भी उसी तरह से लोगों को घर के नजदीक ही मिले जैसा कि अन्य बीमारियों में मिल रही है। इसके लिए कुछ बड़े अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर आयुष्मान भारत के तहत सूचीबद्ध किया जाए।
उन्होंने कहा कि लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में जिस तरह से कैंसर के इलाज की सुविधा बढ़ाई गयी है, उसी तरह से अन्य जिला अस्पतालों को चिन्हित किया जाए, जहां पर्याप्त संसाधन हैं। इन संसाधन युक्त अस्पतालों में कैंसर विशेषज्ञ की तैनाती कर कैंसर का इलाज शुरू किया जाए। इसके अलावा शीघ्र स्क्रीनिंग के माध्यम से कैंसर के रोकथाम से जुड़ी योजनाओं का भी लाभ उठाया जाए।
उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि गैर संचारी रोग (एनसीडी) क्लीनिक का क्षमतावर्धन किया जाए और स्टाॅफ के लिए सिम्पल ट्रेनिंग माड्यूल विकसित किया जाए, ताकि शीघ्र स्क्रीनिंग में सुविधा हो। पीपीपी मॉडल पर एकीकृत कीमोथेरेपी क्लीनिक स्थापित करने पर भी चर्चा हुई ताकि मरीज को उसके लिए दूर के शहरों तक न जाना पड़े।
बैठक में कैंसर के इलाज के मामले में आयुष्मान भारत के तहत मिलने वाली पांच लाख की राशि को अपर्याप्त बताते हुए उसे अन्य विवेकाधीन कोष से जोड़ने पर भी चर्चा हुई, क्योंकि कुछ राज्यों में यह राशि अधिक है। कुछ निजी जाँच एजेंसियों के माध्यम से शीघ्र स्क्रीनिंग बढ़ाने पर चर्चा हुई। कैंसर मरीजों के रेफरल और उनके फालोअप की भी बात कही गयी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने कैंसर की शीघ्र स्क्रीनिंग के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने पर जोर दिया। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी स्क्रीनिंग और फालोअप की ट्रेनिंग देने की बात कही। इसके अलावा स्कूलों और कम्युनिटी में व्यापक जागरूकता लाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि 30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं की स्क्रीनिंग में सावधानी बरतते हुए ब्रेस्ट कैंसर की गंभीरता से उन्हें बचाया जा सकता है।
साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संगीता सिंह ने बताया कि अब तक प्रदेश में करीब डेढ़ लाख कैंसर मरीजों को आयुष्मान के तहत इलाज की सुविधा मुहैया करायी जा चुकी है।
बैठक का संचालन एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल की प्रोग्राम डायरेक्टर हिमानी सेठी ने किया। बैठक में एनएचएम के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के महाप्रबन्धक डॉ. लक्ष्मण सिंह, पीजीआई और केजीएमयू के विशेषज्ञ, साचीज व एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल की टीम और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।