वाराणसी में भाजपा का स्ट्राइक रेट 78, कांग्रेस का 41, सपा-बसपा का जीरो फीसदी
वाराणसी में भाजपा का स्ट्राइक रेट 78, कांग्रेस का 41, सपा-बसपा का जीरो फीसदी
वाराणसी, 28 मई । वाराणसी संसदीय सीट पर अब तक हुए 17 चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों 7-7 बार जीत का परचम फहरा चुके हैं। 1991 से इस सीट पर मुकाबला भाजपा और अन्य दलों के बीच ही रहा है। अब तक हुए चुनाव में भाजपा का स्ट्राइक रेट 78 और कांग्रेस का 41 फीसदी रहा है। वहीं सपा और बसपा का स्ट्राइक रेट शून्य है। पिछले दस चुनावों में भाजपा 7 बार, कांग्रेस 2 और जनता दल एक बार जीते हैं।
कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 41 फीसदी
वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस ने कुल 17 चुनाव लड़े। इसमें सात बार जीत उसके खाते में आई। उसका स्ट्राइक रेट 41.17 फीसदी रहा। 10 चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। वाराणसी सीट कांग्रेस ने 1952, 1957, 1962 में लगातार तीन बार जीती। इसके बाद 1971,1980 और 1984 में भी वो यहां विजयी रही। इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 2004 में जीत का स्वाद चखने का मौका मिला।
भाजपा का स्ट्राइक रेट 78 फीसदी
भाजपा अब तक इस सीट पर 9 चुनाव लड़ चुकी है। इसमें 7 चुनाव उसने जीते हैं। इस लिहाज से उसका स्ट्राइक रेट 77.77 फीसदी बैठता है। साल 1984 के चुनाव में भाजपा ने पहली बार यहां चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा को पराजय मिली। 1989 के चुनाव में उसने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। 1991 में यहां पहली बार भाजपा की जीत का खाता खुला। इसके बाद 1996, 1998 और 1999 का चुनाव भाजपा ने लगातार जीता। 2004 में कांग्रेस ने भाजपा के विजयरथ को रोक दिया। लेकिन 2009 में भाजपा ने जीत के साथ वापसी की। 2014 और 2019 में भी यहां जीत का कमल खिला। पिछले 15 साल से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।
सपा-बसपा का स्ट्राइक रेट जीरो
समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का वाराणसी संसदीय सीट पर स्ट्राइक रेट जीरो फीसदी है। बसपा ने 1989 में पहली बार अपना प्रत्याशी इस सीट से मैदान में उतारा था। बसपा अब तक इस सीट पर आठ चुनाव लड़ चुकी है। लेकिन उसका खाता यहां नहीं खुला। 2019 के चुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। सपा-बसपा गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में थी।
सपा ने 1999 के आम चुनाव में पहली बार इस सीट पर चुनाव लड़ा। सपा इस सीट पर 5 बार चुनव लड़ चुकी है। अब तक लड़ें पांचों चुनाव में सपा को निराशा ही हाथ लगी। 2019 का चुनाव उसने बसपा के साथ गठबंधन में लड़ा और ये सीट उसके खाते में आई थी। सपा प्रत्याशी शालिनी यादव 18.4 फीसदी वोट पाकर दूसरे स्थान पर रही। यह चुनाव भाजपा के उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग 5 लाख वोट के अंतर से जीते थे।