महिलाओं के अश्लील वीडियो एकत्र कर प्रसारित करना समाज में गम्भीर खतरा : हाइकोर्ट
महिलाओं के अश्लील वीडियो एकत्र कर प्रसारित करना समाज में गम्भीर खतरा : हाइकोर्ट
प्रयागराज, 27 मई। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने महिलाओं के अश्लील वीडियो संग्रहीत कर उसे प्रसारित करने के बढ़ते मामलों पर गम्भीर चिंता जताई है। कोर्ट ने इसे समाज के लिए एक गम्भीर खतरा माना है। जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने बलात्कार करने तथा पीड़िता का अश्लील वीडियो बनाने के आरोपी को जमानत देने से इंकार करते हुए यह टिप्पणी की है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आई टी से सम्बंधित अपराधों और साइबर अपराधों की जांच की खराब गुणवत्ता जांच के कामकाज में एक बड़ी गलती बन रही है। कोर्ट ने इसी के साथ मांगे उर्फ रविन्द्र को जमानत देने से इनकार कर दिया। याची पर बुलंदशहर में धारा 376 डी, 506 आईपीसी और पाक्सो एक्ट की धारा 5 जी/6 के तहत मामला दर्ज किया गया है। वह नवंबर 2023 से जेल में है।
यह देखते हुए कि आवेदक पर बलात्कार करने और पीड़िता का अश्लील वीडियो बनाने का आरोप है, कोर्ट ने अपराध की गम्भीरता पर जोर देते हुए इस स्तर पर आवेदक को जमानत देने से इंकार कर दिया और जमानत अर्जी खारिज कर दी। हालांकि न्याय के हित में और अपराध की प्रकृति पर विचार करते हुए न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मुकदमे को शीघ्रता से एक वर्ष के भीतर पूरा करे। न्यायालय ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को आरोपी के अधिकारों के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। कोर्ट गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी तुरंत आवश्यक कदम अपनाए।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सीनियर पुलिस अधीक्षक बुलंदशहर निचली अदालत द्वारा जारी वारंट-सम्मन की तामील के निष्पादन की स्थिति के बारे में निर्धारित तिथि को निचली अदालत के समक्ष हलफनामा दाखिल करे। अदालत ने आगे निर्देश दिया कि यदि पुलिस अधिकारी वारंट या अन्य उपायों को निष्पादित करने में विफल रहते हैं तो सीनियर पुलिस अधीक्षक, बुलंदशहर हलफनामे में कारण बताएंगे और वारंट निष्पादित करने के लिए उठाए गए कदमों को दिखाएंगे।
न्यायालय ने यह भी कहा कि वारंट निष्पादित करने में देरी और परिणामस्वरूप गवाहों की अनुपस्थिति आपराधिक मुकदमों में देरी के प्रमुख कारणों में से एक है और इसे सभी हितधारकों द्वारा प्रभावी ढंग से सम्बोधित किया जाना चाहिए। न्यायालय ने निचली अदालत को यह भी निर्देश दिया कि वह जांच करे कि भंवर सिंह उर्फ करमवीर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में इस न्यायालय के निर्णयों के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश सरकार और गृह सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसके अनुपालन में जारी किए गए निर्देशों का कार्यान्वयन किया गया है या नहीं और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करें।