श्रद्धालु बाेले, महाकुम्भ में गरीबी मिटाने नहीं अपनी आस्थावश जा रहे 

 श्रद्धालु बाेले, महाकुम्भ में गरीबी मिटाने नहीं अपनी आस्थावश जा रहे 

 श्रद्धालु बाेले, महाकुम्भ में गरीबी मिटाने नहीं अपनी आस्थावश जा रहे 

बलिया, 28 जनवरी (हि.स.)। महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर आस्था की पवित्र डुबकी के लिए श्रद्धालुओं का रेला प्रयागराज की ओर चल पड़ा है। कोई बस से तो कोई ट्रेन से जाने के लिए बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर पहुंचा था। महाकुम्भ में स्नान करने की चाहत के आगे सियासत करने वालों के बयान का आस्थावानों पर कोई असर नहीं दिखता।

बलिया रेलवे स्टेशन पर सोमवार शाम पांच बजे का दृश्य यह बताने के लिए काफी था कि आस्था के आगे महाकुम्भ को लेकर चल रही नकारात्मक बयानबाजी बेअसर है। बल्कि कुछ का तो यह भी मानना है कि हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। बलिया जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर स्थित सुखपुरा गांव की महिलाओं की एक टोली प्लेटफार्म नंबर एक पर आती हुई ट्रेन की तरफ दौड़ रही थी। मगर जैसे ही पता चल रहा था कि यह ट्रेन प्रयागराज नहीं जाएगी, महिलाओं की यह टोली थोड़ी निराश हो जा रही थी।

सुखपुरा की कबूतरी, ज्ञानती और ललिता सिंह बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस ट्रेन के पास खड़ी थीं। किसी ने उन्हें बताया कि यह प्रयागराज नहीं जाएगी, फिर थोड़ी निराशा हुई। बावजूद इसके अगली गाड़ी का इंतजार के लिए यह टोली बैठ गई। हिन्दुस्थान समाचार से इन महिलाओं ने बात करते हुए कहा कि चाहे कोई कुछ भी कहे कि डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होती, हम जरूर जायेंगे। कबूतरी देवी ने कहा कि हम अपनी आस्था के लिए जा रहे हैं। गरीबी मिटाने के लिए सरकार प्रयास कर ही रही है। यह महाकुम्भ सौ वर्ष से भी अधिक समय बाद आया है। इसे हम जाया नहीं कर सकते।