शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण का करारा जवाब
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण का करारा जवाब
महाकुम्भ नगर, 31 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ की व्यवस्थाओं को लेकर चल रही बहस में अब संत समाज भी खुलकर सामने आ रहा है। हाल ही में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कुम्भ में अव्यवस्थाओं को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री याेगी से इस्तीफे की मांग की थी। उनके इस बयान पर अब आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने करारा जवाब दिया है।
अयोध्या धाम के सिद्धपीठ श्रीहनुमत् निवास के आचार्य मिथिलेश नन्दिनी शरण जी महाराज ने शुक्रवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को मर्यादित भाषा में जवाब देते हुए कहा कि संत समाज को ऐसी भाषा से बचना चाहिए, जो समाज में नकारात्मकता फैलाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद महीनों से कुम्भ की तैयारियों में लगे हैं, अखाड़ों में जाकर संतों की सुविधा का ध्यान रख रहे हैं और श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
दरअसल, मौनी अमावस्या के पहले बुधवार की देर रात महाकुम्भ की संगम नोज में हुई भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने संतों-श्रद्धालुओं प्रदेश एवं देशवासियों ने अपील की थी कि अफवाह पर ध्यान न दें, संयम से काम लें। प्रशासन आप सभी की सेवा के लिए तत्परता से कार्य कर रहा है।
आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जिस सरकार, जिस पुलिस और जिस व्यवस्था का हम उपभोग करते हैं, उसी पर सवाल उठाना उचित नहीं। अगर इस्तीफा मांगना था तो तब मांगते जब रामजन्मभूमि के भक्तों पर गोली चलाई गई थी, जब पालघर में निर्दोष साधुओं की हत्या हुई थी, जब काशी में निहत्थे संतों को लाठियों से पीटा गया था, लेकिन तब तो कोई आवाज नहीं उठी और अब जब मुख्यमंत्री खुद महाकुम्भ की व्यवस्थाओं में जुटे हैं, तब उन पर सवाल उठाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि क्या मुख्यमंत्री पूरी भीड़ को अपने हाथों से नहलाकर घर पहुंचाएंगे? जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और सतर्क रहना होगा।
उल्लेखनीय है कि, अविमुक्तेश्वरानंद ने कुम्भ में अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब सरकार की व्यवस्था लाखों लोगों की सुविधा के लिए पर्याप्त नहीं है। जब श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं, तब मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। महाकुम्भ में भक्तों की तकलीफों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्हें जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफे दे देना चाहिए।