बिहार में हीटबेव से दो दिनों में 73 मौतें, औरंगाबाद में सर्वाधिक 15

बिहार में हीटबेव से दो दिनों में 73 मौतें, औरंगाबाद में सर्वाधिक 15

बिहार में हीटबेव से दो दिनों में 73 मौतें, औरंगाबाद में सर्वाधिक 15

पटना, 31 मई । बिहार में भीषण गर्मी और हीटवेब के चलते मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में बुधवार से गुरुवार शाम तक लू लगने से 73 लोगों की मौत हुई है। पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा और बेगूसराय समेत कई जिलों में गुरुवार की रात या तो बारिश हुई या इसके कारण हवा में ठंडक आई लेकिन इससे पहले बुधवार सुबह से गुरुवार शाम तक सड़क, बस स्टैंड, स्टेशन पर चलते-टहलते या मतदान की तैयारी कर रहे लोगों की मौतों की संख्या 73 पहुंच गई।

औरंगाबाद में गुरुवार को सर्वाधिक 15 मौतें हुईं। इसके बाद पटना में 11 मौतों की खबर सामने आयी। भोजपुर में पांच मतदानकर्मियों सहित 10 की मौत हुई जबकि रोहतास में आठ, कैमूर में पांच, गया में चार, मुजफ्फरपुर में दो के अलावा बेगूसराय, जमुई, बरबीघा और सारण में एक-एक व्यक्ति की ऐसे ही चलते-फिरते मौत होने की जानकारी आई। गुरुवार को 59 और बुधवार को 14 मौतों के साथ राज्य में मरने वालों की संख्या 73 हो गई है। चूंकि, ज्यादातर लोगों का पोस्टमार्टम नहीं कराया जा रहा है, इसलिए प्रशासनिक तौर पर लू से मौत की पुष्टि नहीं की जा रही है।

बिहार में बुधवार को करीब साढ़े तीन सौ बच्चे और शिक्षक स्कूलों में लू के कारण बेहोश हुए तो राज्य सरकार ने शाम छह बजे जाकर घोषणा की कि गुरुवार से आठ जून तक स्कूल बंद रहेंगे। गुरुवार को स्कूल खुले और बच्चों को लौटा दिया गया लेकिन शिक्षकों को दोपहर बाद डेढ़ बजे तक बैठाए रखा गया।

इधर, लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के लिए तैयारियों में जुटे लोगों पर भी संकट रहा। रोहतास में मतदान ड्यूटी वाले दो शिक्षकों की मौत की खबर आई। भोजपुर में एकमुश्त पांच मतदानकर्मियों की मौत हो गई। हीटवेव से जिन लोगों की मौतें हुई उनमें ज्यादातर बुजुर्ग हैं, जिनकी उम्र 50 साल से 85 साल के बीच बताई जा रही है। बिहार के जिलों में लगातार बढ़ती गर्मी के चलते अस्पतालों में स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और थकान के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। ज्यादातर मामले बिहार के पटना में सामने आ रहे हैं।

फिलहाल, मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिल रहा। मतदान में सरकारी ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों को मुआवजा तब दिया जाएगा जब उनकी मौत की वजह का प्रमाण जमा होगा। इन मौतों की कोई प्रशासनिक पुष्टि भी नहीं हो रही है।