गुरुवार को रहेंगे न्यायिक कार्य से दूर, राजस्व परिषद, कैट सहित अन्य न्यायिक संस्थानों में नहीं हो सका कामकाज

हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने पर जताई निराशा

गुरुवार को रहेंगे न्यायिक कार्य से दूर, राजस्व परिषद, कैट सहित अन्य न्यायिक संस्थानों में नहीं हो सका कामकाज

प्रयागराज, 13 सितम्बर । उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के न्यायिक कार्य से विरत रहने के आह्वान का असर बुधवार को भी देखने को मिला। इलाहाबाद हाईकोर्ट, राजस्व परिषद, कैट, जिला न्यायालयों, तहसीलों सहित न्यायिक और अर्धन्यायिक संस्थानों में कामकाज नहीं हो सका।

अधिवक्ता प्रदर्शन करने के साथ अपनी मांगों पर अड़े रहे। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सहित सभी बार एसोसिएशन ने गुरुवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के एक गुट ने अनशन भी किया। इससे गुरुवार को भी न्यायिक कार्य नहीं हो सकेगा।

हालांकि, हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की हड़ताल के मामले में टिप्पणी भी की है। न्यायमूर्तियों ने सकारात्मक न्यायिक हस्तक्षेप के बावजूद हड़ताल जारी रखने पर निराशा जताई है। हालांकि, कोर्ट ने याचियों के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के महानिबंधक ने मंगलवार से वर्चुअल मोड में सुनवाई के लिए ईमेल जारी किया था लेकिन अधिवक्ता शारीरिक या वर्चुअल मोड के जरिए उपस्थित ही नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि याची समाज के कमजोर वर्गों से हैं और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। उनकी शिकायतों और समस्याओं के सभ्य मानवीय समाधान और और समान अवसर के लिए उनकी मौन पुकार न्याय की पुकार है, जिसे न केवल न्यायाधीशों द्वारा बल्कि वकीलों द्वारा भी महसूस किया और सुना जा सकता है।



लेकिन, दुर्भाग्यवश वकीलों द्वारा भी पैरवी नहीं हो रही है। यह रोना है, चाहे जो भी कारण हो, निश्चित रूप से उन याचियों के आंसुओं और दर्द के वजन से अधिक वजन का नहीं हो सकता, जिन्होंने न्याय प्रणाली और न्याय की संस्था में पूरा विश्वास जताया है।

इसके पहले अधिवक्ता सुबह 10 बजे ही प्रवेश द्वारों पर एकत्र हो गए और किसी को भी अंदर जाने नहीं दिया। इससे अधिवक्ता देर तक अंदर नहीं जा सके। अधिवक्ताओं की अनुपस्थिति में कोर्टें बैंठीं लेकिन कोई कामकाज नहीं हो सका। कोर्टों ने अपने स्तर पर ही देखकर याचिकाओं का निस्तारण किया। दोपहर बाद प्रवेश द्वार खुले तो अधिवक्ता अंदर जा सके लेकिन चैंबर्स बंद ही रहे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह ने बैठक बुलाई और यूपी सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। कहा कि 29 अगस्त की घटना के बावजूद सरकार की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। इस वजह से अधिवक्ताओं में रोष है। अध्यक्ष ने कुछ सदस्यों द्वारा न्यायिक प्रस्ताव पारित किए जाने के निर्णय पर आपत्ति जताने पर नाराजगी जाहिर की और चेतावनी दी कि बार के निर्णय का सम्मान करें। सभी बार का सहयोग करें। बैठक में महासचिव नितिन शर्मा, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, स्वर्ण लता सुमन, सर्वेश कुमार दूबे, अजय सिंह आदि मौजूद रहे।

उधर, राजस्व बार परिषद के संयुक्त सचिव प्रेस सुरेंद्र कुमार और कैट बार एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र नायक ने बताया कि कामकाज नहीं हुआ। इसी तरह जिला अदालतों, तहसीलों में भी अधिवक्ताओं ने अपने-अपने स्तर पर प्रदर्शन कर न्यायिक कार्य नहीं किया।