केस की फाइलें न आने से सुनवाई टलवाने का फैशन, न्याय प्रक्रिया को अवरूद्ध कर रहा : हाईकोर्ट
तय तिथि पर की सुनवाई व्यवस्था करने का निर्देश ताकि सरकार पर भारी हर्जाना न लगे
प्रयागराज, 02 फरवरी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कोर्ट में फाइल पहुंचाने, केस की मांगी गई जानकारी या जवाबी हलफनामा समय से उपलब्ध कराने की ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश दिया है जिससे मुकदमा की सुनवाई स्थगित न करनी पड़े और तय तिथि पर सुनवाई की जा सके।
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि सरकार के सहयोग के बगैर बिना देरी किए त्वरित न्याय दे पाना संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा सुनवाई के समय फाइल मौजूद न होने या मांगी जानकारी न उपलब्ध होने के कारण सुनवाई टलवाने का फैशन हो गया है, जो न्याय देने की प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न करता है। इस पर सख्ती की जाये।
कोर्ट ने चेतावनी के लहजे में कहा कि अधिकारियों की ढिलाई से सुनवाई स्थगित हुई तो कोर्ट भारी हर्जाना लगायेगी। कोर्ट ने अर्जी को सुनवाई के लिए 16 फरवरी की तिथि तय करते हुए आदेश की प्रति महाधिवक्ता व प्रमुख सचिव न्याय को भेजने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने सादिम व दो अन्य की अग्रिम जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि केस 115 क्रमांक पर लगा था। सुनवाई की दूसरी बार पुकार के बावजूद फाइल न होने के आधार पर सुनवाई स्थगित करने की प्रार्थना की गई। कोर्ट ने कहा ऐसी ही प्रार्थना 20 केसों में की गई।
कोर्ट ने कहा दो दिन पहले केस लिस्टिंग सूची जारी कर दी जाती है। इसके बावजूद फाइल का न आना न्याय प्रशासन में अवरोध डालना है। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह नागरिक अधिकारों की रक्षा करें और संवैधानिक संस्था के प्रति जन विश्वास बढाये। कोर्ट ने कहा प्रगतिवादी सोच व सद्भावनापूर्ण कार्य किया जाना चाहिए। सरकारी वकील कोर्ट को सहयोग देने के लिए है। अधिकांश केस की फाइल नहीं है। जो शीघ्र न्याय देने की योजना को अवरूद्ध कर रही है। निर्धारित तिथि पर केस तय करने में कोर्ट को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। जिसका समाधान किया जाना चाहिए।