मनुष्य के शरीर में भी होता है गंगा यमुना सरस्वती की त्रिवेणी का संगम ः ्ग्लेशियर बाबा
मनुष्य के शरीर में भी होता है गंगा यमुना सरस्वती की त्रिवेणी का संगम ः ्ग्लेशियर बाबा
योगी चैतन्य ने बताए अमृत स्नान के यौगिक रहस्य
महाकुम्भनगर,28 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ में हिमालय से आये योगी चैतन्य उर्फ ग्लेशियर बाबा का कहना है कि प्रत्येक मनुष्य के शरीर के भीतर ही गंगा यमुना सरस्वती की त्रिवेणी का संगम होता है।
ग्लेशियर बाबा ने हिन्दुस्थान समाचार से अमृत स्नान के यौगिक रहस्य की चर्चा करते हुए कहा कि हम सभी के शरीर में इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना यह तीन नाड़ियां होती हैं। इड़ा नाड़ी चन्द्रमा की व पिंगला सूर्य की सुषुम्ना शिव की नाड़ी होती है। चन्द्र नाड़ी व्यक्ति को मां गंगा से जोड़ती है। शिव जी की जटाओं में चन्द्रमा के पास ही मां गंगा विराजमान हैं। सूर्य नाड़ी को मां यमुना का प्रतीक माना गया है। इड़ा व पिंगला दोनों के बीच में गुप्त रूप से सरस्वती यानि सुषुम्ना है।
नौका के माध्यम से दोनों नदियों के मध्य में जाकर जो गुप्त हैं इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना, चन्द्र सूर्य व शिवत्व की त्रिवेणी में हम स्नान करने जाते हैं तो स्नान प्रवेश जीव करता है। निकलता सूर्य है। वही अमृत स्नान है जो अमर करता है। जो अमृतत्व को दे वही स्नान है।
ग्लेशियर बाबा ने बताया कि कुंभ का यह अमृत स्नान सभी सिद्धियों को देने वाला है। यह इसी रहस्य को उदघाटित करने वाला है। इसी को जानने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने कहा कि सूर्य वंश में भगवान श्रीराम व चन्द्रवंश में योगेश्वर श्रीकृष्ण का अवतार हुआ, इसका भी एक रहस्य है। सनातन धर्म व सनातन संस्कृति पुनर्जन्म को मानती है। यह कुम्भ है इसका हमने वास्तव में स्नान किया कि नहीं।
माँ गंगा यमुना व सरस्वती की धारा चाहे वर्तमान व अनादि से अंत तक चलती है। अगर कुछ बदला है तो मुख्य विषय यह है कि जो इतने वर्षों बाद आया है, उसमें हमें क्या मिला। हम आये स्नान किया। हर -हर गंगे कर डुबकी लगाई। असान्ति दु:ख क्लेश जीवन में समस्याएं अभाव वहीं के वहीं रह गये। ऐसा नहीं होने वाला कि आप आये कुंभ स्नान कर लिया तो आप के जो कर्मों के फल हैं तो मिलेगा ही। जिसने जो कर्म किया है उसको वही मिलेगा।
अक्षयवट का दर्शन करें, वह आशीर्वाद देंगे
उन्होंने कहा कि प्रयागराज आये हैं तो जानें अक्षयवट क्या है। अक्षयवट का दर्शन करें वह आशीर्वाद देंगे। आप संगम में डुबकी लगाने के बाद गुरू के आश्रम में जायें। ध्यान साधना व भक्ति् के माध्यम से अमृत स्नान करें। क्या आपके अंदर वह क्रान्ति है राम व शिव से मिलने की भगवती से मिलने की। क्या आप जन्म मृत्यु से ऊपर जाना चाहते हैं। धर्म के जो चार पुरूषार्थ बताये गये हैं-धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष। क्या आप ने मानव जीवन की सार्थकता की कसौटी पर अपने जीवन को रखा है। उस भ्रान्ति को तोड़कर नई क्रान्ति पैदा करना है ताकि उसका फल जो मोक्ष है उसका रसपान कर सकें।