हाईकोर्ट ने दोषी की सजा कम करते हुए कहा, जेल दंड के साथ सुधारात्मक
हाईकोर्ट ने दोषी की सजा कम करते हुए कहा, जेल दंड के साथ सुधारात्मक
प्रयागराज, 24 जून । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी और षड्यंत्र के चलते पोस्ट ऑफिस की नौकरी गंवा चुके सजायाफ्ता अपीलार्थी के प्रति नरम रुख अपनाया है। कोर्ट ने दोषी को मिली 7 साल कैद की सजा को कम कर दिया है और उसके द्वारा जेल में बिताई गई 5 साल की अवधि को पर्याप्त माना है।
सत्यदेव सिंह को तीस साल पुरानी आपराधिक घटना के लिए 2017 में सात साल की सजा मिली थी। उसने पांच साल जेल में बिताये। दो साल में सजा पूरी होनी थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट की सात साल की सजा की पुष्टि की है। किन्तु सात साल की सजा में से दो साल सजा कम कर दी है। पांच साल जेल की कैद को सजा के लिए पर्याप्त माना। कोर्ट ने कहा है कि जेल दंड के साथ सुधारात्मक होती है। कोर्ट ने जुर्माना न देने पर छह माह की सजा घटाकर दो माह कर दिया है।
अपीलार्थी अधिवक्ता का कहना था कि घटना के समय वह जवान था। अब उम्र काफी हो चुकी है। अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। उसने पांच साल जेल में काट लिए है। सजा कम कर उसे सुधरने का अवसर दिया जा सकता है। सीबीआई ने 1992 की घटना पर विभिन्न धाराओं में अलग अलग सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने कहा अधिकतम सजा सात साल है। अपीलार्थी ने पांच साल की सजा भुगत ली है। इसलिए दो साल की सजा में कमी करने से उद्देश्य पूरा हो जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने सत्यदेव सिंह की आपराधिक अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।
अपीलार्थी को सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने 25 जनवरी 17 को सजा सुनाई है। तभी से आरोपी जेल में बंद हैं। जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। अपीलार्थी के अधिवक्ता ने केवल सजा के मुद्दे पर बहस की और कोर्ट से उदारता बरतने की गुजारिश की। जिस पर कोर्ट ने नरम रुख अपनाया और जेल में बिताए समय तक सजा सीमित कर दी है। अपीलार्थी के खिलाफ देहरादून में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसका ट्रायल गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में किया गया। षड्यंत्र धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार सहित कई आरोप लगाए गए थे।