(प्रोफाइल) सूर्य प्रताप शाही
(प्रोफाइल) सूर्य प्रताप शाही
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पथरदेवा के विधायक सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को योगी मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। पिछली सरकार में भी वह कैबिनेट मंत्री थे।
उत्तर प्रदेश की 9वीं, 11वीं, 13वीं और 17वीं विधानसभा के सदस्य रहे शाही के ''प्रताप'' को वर्ष 1985 में आई ''इंदिरा लहर'' भी नहीं रोक पाई थी। वर्ष 1980 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे और हार गए थे। इस बार देवरिया के पथरदेवा विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे शाही ने अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी से जुड़े उस मिथक को तोड़ा है, जिसमे ''एक बार ब्रह्माशंकर तो एक बार सूर्यप्रताप'' की बातें चली आ रहीं थीं।
पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर उनके पास कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान मंत्रालय था। पूर्व में उत्तर प्रदेश भाजपा के राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके शाही उन प्रतिष्ठित नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद चल रही इंदिरा सहानुभूति लहर में भी वर्ष 1985 में चुनाव जीता था।
शाही वर्ष 1985 में तत्कालीन कसया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। दूसरी बार उन्होंने वर्ष 1991 में चुनाव जीता और कल्याण सिंह की सरकार में गृह राज्यमंत्री बने। उत्तर प्रदेश सरकार में एक वर्ष पूरा करने के बाद उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के साथ कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया। वर्ष 1996 में वे फिर से विधायक चुने गए। वर्ष 1997 से 2002 तक वे आबकारी एवं मद्य निषेध मंत्री रहे।