तीन दिवसीय "काशी उत्सव" में मैथिली ठाकुर तथा पद्मश्री भारती बन्धु की प्रस्तुति होगी

उत्कृष्ट विभूतियों का जीवन दर्शन लघु-चलचित्रों के माध्यम से दिखाया जायेगा

वाराणसी,13 नवम्बर । इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली के बैनर तले तीन दिवसीय "काशी उत्सव" सिगरा नगर निगम स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 16 नवम्बर से आयोजित है। उत्सव में जाने माने कवि कुमार विश्वास “मैं हूँ काशी" तथा भाजपा सांसद गायक मनोज तिवारी 'तुलसी की काशी' की प्रस्तुति देंगे। कला धरोहर व लोकभाषा के सम्बल के लिये मैथिली ठाकुर तथा पद्मश्री भारती बन्धु की भी सांस्कृतिक प्रस्तुति होगी।

आजादी का अमृत महोत्सव पर्व में संस्कृति मन्त्रालय के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग से उत्सव में आम आदमी का प्रवेश पूरी तरह निःशुल्क हैं। इस कार्यक्रम के पास के लिए रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में पंजीकरण जरूरी है। शनिवार को ये जानकारी कला केंद्र की निदेशक प्रियंका मिश्रा (आईपीएस) ने दी।

उन्होंने बताया कि उत्सव में काशी नगरी के विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक उत्कृष्ट विभूतियों के जीवन, दर्शन एवं कृतियों को परिचर्चा, प्रदर्शनी, लघु-चलचित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया जायेगा। काशी में विश्व नियन्ता भगवान् सदाशिव आनन्द कानन के रूप में, अविमुक्त क्षेत्र के रूप में, पूर्णरूपा प्रकाशित काशी के रूप में, तीन महनीय नदियों के त्रिकोण से ऊपर पंचगंगा क्षेत्र के रूप में और यहाँ के हर चित्त में बसे बनारस के रूप में सदा सर्वदा के लिये अपना आसन जमाये भगवान् विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं, तभी तो काशी में मृत्यु भी आनन्द दायिनी है और जन्म तो है ही।

प्रियंका मिश्रा ने कहा कि भगवती अन्नपूर्णा और माँ विशालाक्षी की दिव्यदृष्टि काशी को यहाँ आने वाले के सामने कुछ इस तरह से उद्घाटित करती है कि वह काशी में रम जाता है और खोजता है रमने का कारण। ऐसी काशी में ही अपने राष्ट्र के उन सपूतों का स्मरण, उनकी तपस्या के फल के रूप में प्राप्त आजादी की गौरव गाथा का यदि अमृत महोत्सव मनाना है तो उसे काशी उत्सव के रूप में ही मनाया जा सकता है। यह उत्सव काशी की उस प्राचीन विरासत की प्रस्तुति का सार्थक माध्यम तो है ही साथ ही उस विरासत में नित्य नवीन अलंकरण कैसे जुड़ते गये उसके वर्णन भी है।

उन्होंने कहा कि काशी उत्सव में भक्ति की सभी निर्गुण एवं सगुण परम्परा, सन्त रैदास, महात्मा कबीरदास तथा गोस्वामी तुलसीदास की त्रिवेणी के साथ प्रवाहित होगी । साथ-साथ 19 वीं सदी के महान् नायक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, कामायनी के प्रणेता जयशंकर प्रसाद एवं भारतीय जीवनशैली को जिन्होंने अपनी लेखनी से उकेरा है, ऐसे साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की साहित्यिक गौरव गाथा का भी यह उत्सव स्मरण करायेगा। इस उत्सव में विभिन्न परिचर्चाओं के माध्यम से इन महनीय आचार्यों के कृतित्व के साथ-साथ समाज की जुबानी में उनकी अलौकिक छवि का प्रस्तुतीकरण भी किया जायेगा।

इसी के साथ यह उत्सव विभिन्न चलचित्रों के माध्यम से काशी की अलौकिक प्रतिभाओं को, इसके व्यापक भूगोल तथा विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जो चलते-फिरते संग्रहालय हैं ऐसे काशी के घाटों को, यहाँ की कला को, जो मूर्त और अमूर्त रूप में प्रतिष्ठित है को दिखाया जायेगा।