देवोत्थान एकादशी पर पूजे गए भगवान विष्णु और तुलसी

देवोत्थान एकादशी पर पूजे गए भगवान विष्णु और तुलसी

देवोत्थान एकादशी पर पूजे गए भगवान विष्णु और तुलसी

देवोत्थान एकादशी शुक्रवार को विंध्य नगरी में उत्साह और धूमधाम से मनाई गई। भगवान विष्णु व माता तुलसी का विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया। एकादशी की कथा सुनी गई और गन्ने का मंडप बनाकर पूजा की गई। काफी संख्या में लोगों ने व्रत रखा और देवालयों में मत्था टेक सुखद जीवन की कामना की।

पौराणिक मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह हुआ था। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु के क्षीरसागर में शयन से जागने का दिन है। विंध्य नगरी में चहुंओर इस पर्व की धूम रही। घरों में पूरी आस्था से भगवान विष्णु और माता तुलसी का विवाह किया गया। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर एकादशी की कथा सुनी। रात को घरों और छतों पर दीपक जलने से एकादशी पर्व पर अलौकिक छटा बिखरी।

गंगा में लगाई आस्था की डुबकी, लोक कल्याण की कामना

एकादशी पर्व पर आस्थावानों ने गंगा में डुबकी लगाई। फतहां घाट, कचहरी घाट, बरियाघाट, सुंदरघाट, बाबा घाट, पक्का घाट समेत अन्य गंगा घाटों पर भोर से ही भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य का आचमन किया और दान कर पुण्य कमाया।



फल-फूल व गन्ने की खूब हुई खरीदारी

बाजार में लाई, मिठाई और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, गन्ना, सिंघाड़ा, कंदा, फूल और फलों की खरीदारी की गई। मंदिरों को विद्युत झालरों से सजाया गया था। सुबह से शाम तक दर्शन-पूजन का दौर चलता रहा। एकादशी पर सोने-चांदी के आभूषण और दो पहिया व चार पहिया वाहनों की भी बिक्री हुई।