भगवान श्रीहरि अब जाग गए, शुरू हो जाएंगी शादियां
इस तिथि से ही चौमासा भी हो गया समाप्त
लखनऊ, 04 नवम्बर । भगवान श्रीहरि आज यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, शुक्रवार से जाग गए। इसी के साथ ही शादियां सहित मांगलिक कार्य भी शुरू हो गए। कारण विवाह लग्नें भी इस तिथि के बाद से शुरू हो जाती हैं। इस तिथि से ही चौमासा भी समाप्त हो गया। इस तिथि को देवोत्थानी या श्रीहरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहते है। साधारतः इसे डिठवन भी कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को भगवान क्षीर सागर में योग निंद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को जागते है। इस अवसर पर भक्तों ने भगवान की पूजा की और उनका जगाया।
भक्तों ने पूजा में भगवान को सिंघाढ़ा और गन्ना विशेष रूप से चढ़ाया। ‘जागो जागों रे भगवान‘ कह कर जगायां । कुछ भक्त इसी तिथि से भगवान को ऊनी वस्त्र भी धारण कराते हैं। भगवान की विष्णु सहस्त्रनाम से स्तुति भी की।
लोंगों ने इसी तिथि पर तुलसी का विवाह श्री शालग्राम के साथ किया। शास्त्रीनगर स्थित श्रीदुर्गा जी मंदिर में तुलसी विवाह का आयोजन किया गया।
हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दी महीने के प्रत्येक शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी आती है। सभी महत्वपूर्ण होती है और लोग व्रत रखते हैं, लेकिन साल में आषाढ माह की देवशयनी एकादशी और कार्तिक मास की देवोत्थानी एकादशी का विशेष महत्व है। इस तिथि में गन्ना और सिंघाढ़ा भगवान को चढ़ाकर ही स्वयं ग्रहण करते हैं।
इस अवसर पर सोशल मीडिया ग्रुप व फेसबुक पर लोगों ने एक-दूसरे को बधाई भी दी।