साक्षात्कार : भारत में न वक्फ बोर्ड की जरूरत न सनातन बोर्ड की : स्वामी अधोक्षजानंद

साक्षात्कार : भारत में न वक्फ बोर्ड की जरूरत न सनातन बोर्ड की : स्वामी अधोक्षजानंद

साक्षात्कार : भारत में न वक्फ बोर्ड की जरूरत न सनातन बोर्ड की : स्वामी अधोक्षजानंद

हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करे बांग्लादेश सरकार: शंकराचार्य

महाकुंभनगर, 24 जनवरी (हि.स.)। शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने कहा है कि भारत में अलग से वक्फ बोर्ड बनाने की जरूरत नहीं है। वक्फ बोर्ड बनाने का निर्णय उचित नहीं था। इसे जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए। पुरी के शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ से धर्म, अध्यात्म व समाज से जुड़े कई विषयों पर हिन्दुस्थान समाचार के वरिष्ठ संवाददाता बृजनन्दन राजू ने बातचीत की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के अंश।

प्रश्न : महराज जी महाकुंभ से वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की मांग उठ रही है वहीं दूसरी ओर सनातन बोर्ड बनाने की बात हो रही है। इस पर आप क्या कहेंगे?

उत्तर : भारत में न वक्फ बोर्ड की जरूरत है और न सनातन बोर्ड की। बोर्ड तो एक सरकारी व्यवस्था हो गयी। सनातन बोर्ड बनाने की मांग तो इसलिए हो रही है कि अल्पसंख्यकों के लिए वक्फ बोर्ड है तो जो बहुसंख्यक है उसने क्या बिगाड़ा है। हिन्दुओं को भी उनके मान सम्मान उनकी धार्मिक मान मर्यादाएं व धर्म क उत्थान के लिए ताकत मिलनी चाहिए।

शंकराचार्य ने कहा कि वक्फ इस्लाम की पुष्टि के लिए है। इस्लाम कुछ सौ सालों से है हम उनके कम्पटीटर नहीं बन सकते क्योंकि हमारी सार्वभौमिक सम्प्रभुता बहुत पहले से बहुत व्यापक है। आकाश पाताल सब जगह है। सनातन से इस्लाम की तुलना नहीं हो सकती है। मत-मतांतर मजहब यह सब बीच में आये हुए हैं। उनका मूल सनातन है। यह भटके हैं इसलिए क्योंकि उन्हें नदी को अपना अस्तित्व बचाने के लिए उसको पाताली स्रोत से लिंक रखना होगा। नहीं तो वह थोड़े दिन में सूख जायेगी।

प्रश्न :महाराज जी बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है। कुछ समय पहले वहां आप गये थे। वहां किस प्रकार की स्थितियां हैं?

उत्तर : जिस प्रकार भारत में अल्पसंख्यकों को उनके कार्यक्रम करने की आजादी है और वह लोग कर रहे हैं उसी तरह बांग्लादेश की सरकार अल्पसंख्यकों के साथ हिन्दुओं व सनातनियों के साथ खड़ी रहे। हम चाहते हैं कि वहां की सरकार केवल बयान न दे ईमानदारी से हिन्दुओं की सुरक्षा करे। बांग्लादेश के हिन्दू भय में जी रहे हैं। भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हम भी चिंतित हैं। विश्व बिरादरी को बांग्लादेश पर वहां के हिन्दुओं की सुरक्षा के ​लिए दबाव बनाना चाहिए।

शंकराचार्य ने कहा कि वैसे तो सन्यासी के लिए धर्मगुरू के लिए सारी पृ​थ्वी के लोग प्रिय हैं। आदि शंकराचार्य की कर्मभूमि भारत रही है। यहां से उन्होंने दुनिया को ज्योति दी है। उन्होंने चार मठ बनाया। हमारा जो गोवर्धन मठ का क्षेत्र है उसमें बांग्लादेश आता है। अंग,बंग कलिंग, मगध, बर्बर, असम व कुर्रर विशेषकर गोवर्धन मठ के रक्षित क्षेत्र हैं। उड़ीसा आन्ध्रा का एरिया छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, बंगाल और सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के आठों राज्य जो वर्तमान भारत के स्वामित्व में हैं। लेकिन यह जो व्यवस्था है ढ़ाई हजार साल पहले की है। उस समय के भारत में उसमें आधा नेपाल,भूटान,बांग्लादेश वर्मा वियतनाम कम्बोडिया थाईलैण्ड और श्रीलंका आदि द्वीप यहां की देखरेख हमारे मठ के अधीन क्षेत्र हैं।

प्रश्न : वहां के हिन्दू सुरक्षित रहें इसके लिए आप के द्वारा कुछ प्रयत्न किये गये?

उत्तर : बांग्लादेश के सनातनियों के लिए हम​ चिंतित भी हैं हम तैयार हैं। विदेश मंत्री को बता चुका हूं। बहुत जल्दी कुंभ के बाद हम बांग्लादेश जायेंगे, वहां कैम्प करेंगे। जब हम बांग्लादेश में गये तब हमें नहीं लगा कि हम यहां पहली बार आये। वहां 135 साल के बाद कोई शंकराचार्य यहां आया है। इसका मतलब जब बांग्लादेश भारत में था तब भी धार्मिक गतिविधियां नहीं थीं। फिर भी वहां के हिन्दू अपने मठ को अपने आचार्य को याद रखे हैं। अपने धर्म व संस्कार को बचाकर रखा है। हमने वादा किया है कि हम वहां आते रहेंगे व धार्मिक मार्गदर्शन करते रहेंगे।

प्रश्न : मान्यता है कि शंकराचार्य को समुद्र लंघन नहीं करना चाहिए। यह कहां तक उचित है?

उत्तर : आचार्य शंकराचार्य को समुद्र लंघन नहीं करना चाहिए। यह मनगढ़ंत बात थी। इसमें शास्त्रीय तथ्य नहीं है। यह बात उन लोगों ने फैलाया जो दुनिया में ईसाईत का विस्तार चाहते थे उनके धर्मगुरू दुनिया में फैले उनके शासक उन्हें हवाई जहाज दें उनका संरक्षण करें ताकि ईसाईत का प्रचार हो। सूर्य जायेगा तो अंधकार मिटेगा। हमारे ऊपर लोग प्रश्नचिन्ह उठाते हैं कि शंकराचार्य को बाहर नहीं जाना चाहिए।

प्रश्न: मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के बारे में आपकी क्या राय है?

उत्तर : हिन्दू मंदिरों को जल्द से जल्द सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना चाहिए। मंदिरों को यदि सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाता है तो उस धनराशि को हिन्दुओं के कल्याण में खर्च होगा। एक दिन सब लोग मिलकर सामूहिक रूप से हम धर्माधिकारियों से मंत्रणा करने के बाद घोषणा करेंगे कि हम किस स्थिति में हैं आगे क्या करना है। इसके अलावा जीव जगत के कल्याण के लिए सनातन के विस्तार के लिए हम लोग रीति नीति कायम करेंगे।

प्रश्न : महाकुंभ में अनेक संत महापुरूष आये हैं ​फिर भी यहां से सोशल मीडिया की खबरें ज्यादा वायरल हो रही हैं?

उत्तर : समुद्र में रत्न हैं। वह रत्नगर्भ है। स्वयं लक्ष्मी भी समुद्र से निकली हैं। रत्न को समुद्र के किनारे खोजोगे तो कचरा ही मिलेगा। रत्न खोजने के लिए समुद्र की गहराई में जाना पड़ेगा। महाकुंभ में सिद्ध ​ऋषि मुनि आये हैं। उनका अमृत अनुष्ठान जारी है। वह जगत कल्याण का संदेश दे रहे हैं। देव दनुज नर किन्नर श्रेनी सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी। इसी प्रकार कुंभ में सब लोग आये हैं सबको स्नान का अधिकार है।

प्रश्न:महराज जी प्रयागराज महाकुंभ से आपका क्या संदेश है?

उत्तर : प्रयागराज के संगम क्षेत्र में भगवान ब्रह्मा ने प्रथम यज्ञ किया था। सृष्टि के आरंभ से ही यहां यज्ञ की परंपरा है। यह बहुत ही पवित्र व पावन भूमि है। सनातन को मानने वालों को हमारा यही संदेश है कि वह महाकुंभ में आएं और संगम में डुबकी लगाकर अपने जीवन को धन्य बनाएं।