डीजीपी यूपी को महिला कांस्टेबल के लिंग परिवर्तन कराने के आवेदन को निस्तारित करने का निर्देश
कोर्ट ने जेन्डर डिस्फोरिया से पीड़ितों के लिए प्रदेश सरकार को कानून बनाने का दिया निर्देश
प्रयागराज, 23 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जेन्डर डिस्फोरिया से पीड़ित अविवाहित महिला सिपाही की याचिका पर सरकार से जवाब तलब करते हुए कहा कि लिंग परिवर्तन कराना एक संवैधानिक अधिकार है। अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस निहित अधिकार से वंचित करते हैं या उसकी अर्जी स्वीकार नहीं करते हैं तो हम केवल लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे। कोर्ट ने मामले में यूपी के पुलिस महानिदेशक को एक महिला कांस्टेबल द्वारा लिंग परिवर्तन कराने की मांग के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करने का निर्देश दिया है।
इसके साथ ही यूपी सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में कानून बनाने को भी कहा है। कोर्ट इस याचिका पर 21 सितम्बर को सुनवाई करेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने नेहा सिंह की याचिका पर पारित किया है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हवाले से कहा कि कभी-कभी ऐसी समस्या घातक हो सकती है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक आत्म छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है। यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय विफल हो जाते हैं तो सर्जिकल हस्तक्षेप करना चाहिए।
मामले में याची ने हाईकोर्ट के समक्ष आग्रह किया कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है और खुद को अंततः एक पुरुष के रूप में पहचानने और व्यक्त करने के लिए सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है। याची ने कहा कि उसने पुलिस महानिदेशक के समक्ष इस सम्बंध में 11 मार्च को अभ्यावेदन किया है लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस वजह से उसने यह याचिका दाखिल की है।
याची के अधिवक्ता की ओर से राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया गया। कहा कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आवेदन को रोकना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग घोषित किया है। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई ऐसा नियम नहीं है तो राज्य केंद्रीय कानून के अनुरूप ऐसा अधिनियम बनाए। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 21 सितम्बर की तारीख तय की है।