कच्चे तेल की कीमत में लगातार दूसरे दिन उछाल, भारत पर भी बढ़ा दबाव
कच्चे तेल की कीमत में लगातार दूसरे दिन उछाल, भारत पर भी बढ़ा दबाव
22 जुलाई । पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से परेशान भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार से बुरी खबर आई है। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) लगातार दूसरे दिन भी महंगा हो गया है। ब्रेंट क्रूड करीब 3 फीसदी महंगा होकर 72.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (डब्ल्यूटीआई क्रूड) भी 2.84 डॉलर की तेजी के साथ 70.26 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसके एक दिन पहले भी कच्चे तेल की कीमत में 1.51 फीसदी मजबूती आई थी। लगातार दो दिन कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण ब्रेंट क्रूड फिलहाल 3.96 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार से आई ये खबर भारत के लिए इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि भारत पेट्रोल और डीजल की अपनी 80 फीसदी से अधिक जरूरत आयातित कच्चे तेल से ही पूरा करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का सीधा असर घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमत पर पड़ता है। हालांकि भारत में पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी होने के बावजूद घरेलू बाजार में पिछले 5 दिनों से पेट्रोल और डीजल कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। जिसकी वजह से फिलहाल राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 101.84 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर और डीजल 89.87 रुपये प्रति लीटर के पूर्व स्तर पर ही बिक रहा है। फिलहाल राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल की कीमत सबसे अधिक 113.47 रुपये प्रति लीटर बनी हुई है।
बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण भारत में भी सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी करने का दबाव बना हुआ है, लेकिन ओपेक प्लस देशों की बैठक में हुए कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के फैसले के कारण सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों फिलहाल कोई भी फैसला लेने के पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर रखी हुई हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले 2 दिनों से कच्चे तेल की कीमत में आई उछाल की मूल वजह अमेरिकी तेल भंडार के लिए कच्चे तेल की खरीद में आई तेजी को माना जा रहा है। मंगलवार को ही अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट का क्रूड ऑयल इन्वेंटरी डेटा रिलीज हुआ था। इस डेटा के मुताबिक 16 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान वहां 4.079 मिलियन बैरल कच्चे तेल की निकासी हुई थी। इस वजह से अभी अपने तेल भंडार को दोबारा भरने के लिए अमेरिका बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड और डब्ल्यूटीआई क्रूड दोनों की कीमत में तेजी आ गई है।
माना जा रहा है कि अमेरिकी तेल भंडार के लिए खरीदारी पूरी हो जाने के बाद एक बार फिर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आ सकती है। कमोडिटी एक्सपोर्ट विजय सावंत के मुताबिक तेल निर्यातक देशों और उनके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) के बीच कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने की बात को लेकर सहमति बन गई है। ओपेक प्लस की बैठक में अगस्त 2021 से लेकर दिसंबर 2021 तक कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना 4 लाख बैरल की बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है। अगस्त से इस फैसले के अमल में आ जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग की तुलना में कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ सकेगी, जिसकी वजह से कच्चे तेल के दाम में कमी आने की संभावना बनेगी। ओपेक प्लस देशों की बैठक में रूस के साथ ही सऊदी अरब, इराक और कुवैत में अपना प्रोडक्शन कोटा बढ़ाने की भी मांग की थी, जिसपर संगठन ने सहमति दे दी थी।
संभावना जताई जा रही है कि ओपेक प्लस देशों के बीच बनी सहमति के कारण कच्चे तेल की कीमत में अब और बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए। अगर कच्चे तेल की कीमत में ज्यादा उतार चढ़ाव नहीं आया, तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने रह सकते हैं। वहीं अगर उत्पादन बढ़ने की वजह से कच्चे तेल की कीमत में कमी होती है, तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल के कुछ सस्ता होने की उम्मीद की जा सकती है।