दो हजार करोड़ से यूपी में स्थापित होगा बायो प्लास्टिक पार्क
मुख्यमंत्री योगी ने परियोजना को तेजी से पूरा करने के दिये निर्देश
लखनऊ, 28 जून । बायो प्लास्टिक के निर्माण के जरिए पर्यावरणीय प्रदूषण को कम करने में जुटी योगी सरकार प्रदेश में दो हजार करोड़ से बायो प्लास्टिक पार्क की स्थापना करने जा रही है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद के गोला गोकर्णनाथ तहसील के कुम्भी गांव में 1000 हेक्टेयर में स्थापित होने वाले इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिये हैं। इस पार्क को बलरामपुर चीनी मिल फर्म द्वारा बनाया जाएगा, जिससे यहां ने केवल बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा बल्कि बायो प्लास्टिक पार्क बनने से क्षेत्र में कई अन्य सहायक उद्योग भी स्थापित हो सकेंगे। पार्क के विकास के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को नोडल बनाया जाएगा।
निर्मित किये जा सकेंगे कई प्रकार के औद्योगिक उत्पाद
बायो प्लास्टिक एक प्रकार का प्लास्टिक होता है जो प्राकृतिक सामग्रियों, जैसे कि मक्का, सूरजमुखी या शक्कर के कणों से बनाया जाता है। इसे प्राकृतिक प्लास्टिक भी कहा जाता है। यह तेजी से विघटित हो जाता है,जिससे इसका पर्यावरण में प्रदूषण प्रभाव कम होता है। इसका उपयोग न केवल पर्यावरण स्थिरता को बढ़ावा देता है, बल्कि इसका उपयोग अलग-अलग उद्योगों में भी किया जा सकता है,जैसे कि पैकेजिंग,रेडिमेड वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य औद्योगिक उत्पाद। इसके विकास और उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण के खतरे को कम करने में मदद मिलती है और पर्यावरणीय स्थिति में सुधार करने में यह बहुत ही ज्यादा सहायक साबित हो सकता है।
पार्क में होंगे वैज्ञानिक अनुसंधान
बायो प्लास्टिक पार्क के विकास से नए वैज्ञानिक व तकनीकी क्षेत्र में नौकरी के अवसर भी उत्पन्न होंगे ही साथ ही ये पार्क वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए एक मंच भी प्रदान करेगा, जहां वे नवीनतम प्रौद्योगिकियों और अनुसंधानों के माध्यम से प्लास्टिक निर्माण की क्षमताओं को विकसित कर सकते हैं।
प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि इस पार्क में प्लास्टिक से जुड़ी विभिन्न प्रौद्योगिकियों का विकास और अध्ययन भी किया जाएगा। पार्क में वैज्ञानिक अनुसंधान होंगे,जिससे प्लास्टिक के प्रभावी उपयोग और पुनर्चक्रण के लिए नवीनतम तकनीकी उत्पाद विकसित किए जा सकेंगे। इसके जरिए प्लास्टिक से पैदा होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान निकाला जा सकेगा। साथ ही प्लास्टिक के प्रदूषण को कम करने और प्रदूषित प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के लिए नवीनतम तकनीकियों का अध्ययन किया जाएगा।