संवृद्धि, रोजगार तथा निवेश बढ़ाने वाला संतुलित और भविष्योन्मुख बजट
संवृद्धि, रोजगार तथा निवेश बढ़ाने वाला संतुलित और भविष्योन्मुख बजट
प्रयागराज, 02 फरवरी । अर्थशास्त्र विभाग, इविंग क्रिश्चियन कॉलेज तथा भारतीय आर्थिक शोध संस्थान, इविवि के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय के विद्यार्थियों के बीच “बजट 2023-24“ पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश के अनेक विश्वविद्यालयों के अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया। अधिकांश वक्ताओं ने इसके प्रमुख प्रावधानों पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए बजट को समृद्धि, संवृद्धि, रोजगार तथा निवेश बढ़ाने वाला, संतुलित और भविष्योन्मुख बताया।
ओडिशा राज्य योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सुधाकर पंडा ने कहा कि बजट संतुलित और रोजगार तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने वाला है। आधारित संरचना पर व्यय में हुई वृद्धि अर्थव्यवस्था के दीर्घकाल के विकास की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। प्रो. पंडा ने कहा कि बजट में औद्योगिक तथा ग्रामीण क्षेत्र पर बराबर ध्यान दिया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम.एम. गोयल ने ‘नीडोनामिस्ट’ की दृष्टि से वर्तमान बजट के आंकड़ों को प्रस्तुत करते हुए इसे स्वर्णिम भारत 2047 के लिए एक आवश्यक कदम कहा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिहाज से बजट में एक लंबे समय का खाका खींचा गया है। अगले 25 वर्षों की आवश्यकताओं को देखते हुए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एके जैन ने बजट को सकारात्मक बताते हुए कहा कि अगले वर्ष चुनाव होते हुए भी बजट में चुनावी घोषणाओं का न होना सरकार की समस्याओं को हल करने के प्रति गंभीरता को दिखाता है। भारतीय आर्थिक शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश नारायण ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए जबकि अधिकांश विकसित और उभरती हुई अर्थव्यवस्थायें स्फीति से ग्रसित और मंदी के डर से सहमी हुई हैं, बजट के प्रावधान बिल्कुल उचित है।
काशी विद्यापीठ की प्रो. अंकिता गुप्ता ने नए कर ढांचे और कर उत्फुल्लता के संदर्भ में बात की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ अनूप कुमार ने संपोषणीय विकास और हरित समृद्धि के लिए किए गए उपायों को महत्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने मुख्य चुनौतियों जैसे महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध तथा मंदी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में सामने आई है। इस बजट में एक मजबूत भारत की तस्वीर दिखती है, जिसे आज पूरा विश्व देखना चाहता है। इस बजट में वैश्विक और घरेलू चुनौतियों से जूझते हुए घरेलू और वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने का भी प्रयास किया गया है। डॉ सिंह ने कहा कि यह बजट वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए ना सिर्फ उचित प्रबंधन की ठोस तैयारी करता हुआ दिखता है बल्कि भारत को एक वैश्विक शक्ति बनाने की दिशा में भी मजबूती से कदम बढ़ाता है। महाविद्यालय के बर्सर डॉ एलटीसी ईसुवियस ने शिक्षा पर व्यय को बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ विवेक निगम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के कौशल विकास के लिए किए गए प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि युवाओं को अपने कौशल विकास को बढ़ाने के लिए विशेष प्रयत्न की आवश्यकता है।
डॉ अनामिका श्रीवास्तव ने बजट में पूंजी व्यय के बढ़ते हुए अंश को भविष्योन्मुखी बताया। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित आयकर की सीमा को 7 लाख किए जाने पर भी अर्थशास्त्रियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया रही है। कार्यक्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यशवीर त्यागी, डॉ दिनेश यादव, भौतिक विभाग से डॉ अनिल कुमार सिंह, डॉ अशोक पाठक,तनया कृष्ण सहित अनेक प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। श्रोताओं की ओर से अंकित, अभय, श्वेतांक, आयुष, आदित्य, प्रांजल, आयुष, शिवांगी आदि विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछे जिसका वक्ताओं ने जबाब दिया। विभाग की शोधार्थी नम्रता, प्राची, श्रेया, शिविका, सौम्या और परास्नातक व स्नातक के विद्यार्थी संगोष्ठी में उपस्थित रहे।