अपना घर बेचकर आज सड़कों पर पुस्तक घर बना रहा है यह शख्स जिसे हेलमेट मैन कहते हैं
अपना घर बेचकर आज सड़कों पर पुस्तक घर बना रहा है यह शख्स जिसे हेलमेट मैन कहते हैं
अपना घर बेचकर आज सड़कों पर पुस्तक घर बना रहा है यह शख्स जिसे हेलमेट मैन कहते हैं. हेलमेट मैन ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह 2021 में जीवन रक्षा के लिए पुरानी पुस्तक लेकर हेलमेट का वितरण किया. जो 18 जनवरी से लेकर 17 फरवरी तक चलेगा. पिछले एक सप्ताह से आदित्य सर्विस एचपी पेट्रोल पंप पर जहां पुरानी पुस्तक देने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की लाइन लगी रहती है क्योंकि पुस्तक देने वालों को बदले में एक हेलमेट प्राप्त होता है.
हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार का कहना है गली-गली में लाइब्रेरी खुलेगा लेकिन घर का चिराग नहीं बुझेगा.
जिस घर में पुरानी पुस्तक होगी अब उस घर में हेलमेट होगा.
जहां 8 साल से उम्र से लेकर 80 साल के उम्र के लोग लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी पुस्तक लेकर पहुंचे हैं जो एक ही पुस्तक से 2 पीढ़ी पास हो चुके हैं. उनका कहना है शिक्षा कभी पुरानी नहीं होती जो हमेशा जीवन के साथ रहती है. लेकिन दुर्घटना का कोई भरोसा नहीं कभी भी घट सकती है. इसलिए अभियान को सुनकर बहुत खुशी मिली मेरे पास 40 साल पहले की पुस्तक अलमीरा में पड़ी थी. जो अब हमारे किसी काम कि नहीं. लेकिन हेलमेट की जरूरत प्रतिदिन रहती हैं.
हेलमेट मैन का कहना है मैं कोई सरकार नहीं जो राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह जागरूकता के नाम पर पूरे महीने जनता से वसूली करके राजस्व मजबूत करती है लेकिन दुर्घटना के आंकड़ों को कम करने में हमेशा फेल हो जाती है.
यह अलग बात है सरकार को मेरा कार्य पसंद नहीं क्योंकि वह चालान के नाम पर वसूली करते है बदले में कुछ भी नहीं देते लेकिन मैं चालान दिखाने वालों को एक हेलमेट के साथ 5 लाख की बीमा दीया. बदले में सरकार या प्रशासन द्वारा कोई सहानुभूति भी नहीं मिली. लेकिन मेरे हेलमेट से लोगों की जान बचती है तो लोग बहुत दुआएं देते हैं. मेरे द्वारा दी गई पुस्तक पढ़कर बच्चे जब प्रथम स्थान लाते हैं तो मुझे अपने कार्य पर गर्व होता है.
इस करोना महामारी के बीच अपने अभियान को नहीं बंद किया लोगों से पुस्तक नहीं ले सकता था मगर हेलमेट देने का जुनून को रोक नहीं पाया. क्योंकि 2014 में नोएडा एक्सप्रेसवे पर हेलमेट नहीं होने की वजह से सड़क दुर्घटना में मेरे मित्र के मौत हो गई थी. गार्जियन बच्चों के लिए शिक्षा के ऊपर लाखों करोड़ों खर्च करते हैं मगर एक हेलमेट के प्रती जागरूक नहीं कर पाते.
मैं हर दिन दुर्घटना की खबरें पढ़कर दुखी रहता हूं इसीलिए प्रतिदिन सड़कों पर हेलमेट देता रहता हूं. इस सड़क दुर्घटना को जड़ से खत्म करने के लिए भारत को 100% साक्षर कर रहा हूं. क्योंकि मेरे दोस्त के मरने के बाद उसकी पुस्तक किसी जरूरतमंद बच्चे को दिया था उसको पढ़ने के बाद जिले में प्रथम स्थान लाया तब से अपना लक्ष्य बनाया जो कोई मुझे पुस्तक देगा मैं उसे हेलमेट दूंगा और आज ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र में लाइब्रेरी बना चुका हूं चौराहों पर बुक बैंक बॉक्स लगाकर लाइब्रेरी तक पुस्तक पहुंचा रहा हूं जहां लाखों बच्चों को आसानी से पुस्तके मिल रही है
पिछले 7 साल से 48000 हेलमेट बांटकर 6 लाख बच्चों तक निशुल्क पुस्तकें दे चुका हूं.
यह देश मेरा नहीं हम सभी का है लेकिन सब की सोच एक जैसी नहीं क्योंकि हमारा भारत मुगलों के बाद अंग्रेजों का गुलाम रहा जो शिक्षा में काफी पीछे रह गया.
भारत को गुलामी से आजादी मिली संविधान सबके लिए एक बना लेकिन आज 74 साल बाद भी भारत सौ प्रतिशत साक्षर नहीं बना. क्योंकि शिक्षा कुछ पूंजीपतियों की गुलाम रह गई. जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सबके बस की बात नहीं. जहां गली गली में पुस्तकालय होना चाहिए आज मंदिर और मस्जिद पाए जाते हैं.
हेलमेट मैन के अभियान से जिन बच्चों के लिए महंगी पुस्तक खरीदने का एक सपना हुआ करता था आज उन्हें निशुल्क प्राप्त हो रहा है. जो 2021 में अलग-अलग नई जगह पर 21 लाइब्रेरी बना रहे हैं जहां कोई भी बच्चा छठी क्लास से लेकर ग्रेजुएशन तक की किताबें निशुल्क ले सकता है. पुस्तक लेने के लिए उन्हें अपना स्कूल कॉलेज का पहचान पत्र दिखाना होगा और अपने क्लास की पढ़ी हुई पुस्तक देना होगा.
यह अलग बात है अपनी वाहवाही के लिए भारत के मंत्री सम्मानित करते हैं लेकिन मदद के नाम पर कोसों दूर रहते हैं.