विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हुए चुनौती को करना होगा स्वीकार : मुख्यमंत्री
विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हुए चुनौती को करना होगा स्वीकार : मुख्यमंत्री
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लखनऊ, 3 मार्चमुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपरीत परिस्थिति में निर्णय लेने का सामर्थ्य विकसित करना चैलेंज होता है। ऐसी स्थिति में बहुत सारे लोग हाथ-पैर छोड़ देते हैं, मानकर चलते हैं कि जो होना होगा, देखा जाएगा, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में धैर्य से काम करते हुए चुनौती का सामना करने को तैयार होना पड़ेगा। महाकुम्भ में यही किया गया, तब जाकर सकुशल महाकुम्भ संपन्न हो सका। उन्होंने कहा कि संतों, श्रद्धालुजन व व्यवस्था से जुड़े लोगों से संवाद-समन्वय स्थापित करना पड़ता है।
मुख्यमंत्री सोमवार को आईआईएम व भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों के साथ महाकुम्भ के सफल आयोजन द्वारा राष्ट्र निर्माण विषय पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान महाकुम्भ से संबंधित वीडियो फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
2013 में मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने गंदगी देखकर नहीं किया था गंगा स्नान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 2013 के कुम्भ में मॉरीशस के प्रधानमंत्री आए लेकिन गंगा जी में गंदगी को देखकर स्नान नहीं किया और टिप्पणी की कि क्या यही गंगा हैं, फिर दूर से प्रणाम करके चले गए। उन्होंने कहा कि इस बार के कुंभ में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अनेक केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, 74 देशों के एंबेसडर व हाई कमिश्नर्स, भूटान के नरेश, 12 देशों के मंत्री समेत लगभग 100 से अधिक देशों की भागीदारी हुई। उद्यमी, फिल्म स्टार, क्रिकेटर समेत हर तबका इसका हिस्सा बने थे। अद्भुत संगम के दृश्य को देखकर हर कोई अभिभूत था।
स्वच्छता पर था विशेष जोर
योगी ने कहा कि यह आयोजन गंगा तट पर बालू में होता है। शौचालय शीट को बालू में ऐसे डाल दिया जाता था। सप्ताह-दस दिन बाद बदबू, मक्खी, मच्छर और बीमारी होने लगती थी। फिर मैंने कहा कि ऐसे टॉयलेट बनाएं, जिसकी नियमित सफाई हो सके। हम लोगों ने एक लाख टॉयलेट-टैंक तैयार कराए। कहा कि एक भी टॉयलेट का लिक्विड गंगा-यमुना में नहीं जाना चाहिए। इसकी नियमित सफाई कराई गई।
क्राइसिस मैनेजमेंट में पुलिस का सर्वाधिक महत्वपूर्ण रोल
सीएम ने कहा कि इतना बड़ा आयोजन तब सकुशल संपन्न होगा, जब सुरक्षा, क्राउड मैनेजमेंट की समुचित व्यवस्था हो। हर किसी के मन में यह विश्वास हो कि पुलिस हमें सुरक्षा दे सकती है। किसी भी क्राइसिस मैनेजमेंट में पुलिस का सबसे महत्वपूर्ण रोल होता है। उनका व्यवहार बहुत मायने रखता है। पुलिस के लिए चार महीने स्पेशल कोर्स चलाए गए। 2019 प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता व सुव्यवस्था का संदेश दिया था। 2025 महाकुम्भ में इतनी भीड़ का अंदाजा हमें भी नहीं था। संभावना थी कि 2019 की अपेक्षा दोगुनी भीड़ होगी, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने मेले के दायरे समेत सभी व्यवस्थाओं को बढ़ाया। पांच हजार एकड़ में हर रूट पर छह अलग-अलग पार्किंग स्पेस दिए गए। इसमें छह लाख बस व चार पहिया वाहन पार्क किया जा सकता है। मुझे आशंका थी कि भीड़ बढ़ेगी। इस एरिया को बढ़ाना पड़ेगा, लेकिन प्रयागराज के आसपास स्पेस नहीं था, इसलिए आसपास के मीरजापुर, भदोही, कौशांबी, जौनपुर, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, चित्रकूट, रायबरेली में पार्किंग स्पेस और होल्डिंग एरिया तैयार किए। 2013 में रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 42 लोगों की मौत हुई थी। मुख्य जंक्शन के साथ 9 अन्य रेलवे स्टेशनों व एयरपोर्ट का विस्तारीकरण किया गया।
विशुद्ध धार्मिक होते हैं ऐसे आयोजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजन विशुद्ध धार्मिक होते हैं। हर स्नानार्थी श्रद्धाभाव से आता है। उसे गंतव्य तक पहुंचने का मार्ग दीजिए। यदि बाधित करने का प्रयास करेंगे तो अगल-बगल के क्षेत्र में बिखरेगी और वहां होल्डिंग एरिया नहीं है तो भगदड़ के खतरे होते हैं। धार्मिक भीड़ अनुशासित होती है। 28-29 की रात सवा एक से डेढ़ बजे के मध्य भगदड़ की घटना हुई। उस दौरान मेला क्षेत्र में चार करोड़ लोगों की भीड़ थी। जैसे ही भगदड़ हुई 15 मिनट के अंदर पब्लिक ने ग्रीन कॉरिडोर दिया और सभी को हॉस्पिटल पहुंचाने में मदद की।
योगी ने कहा कि ऐसे आयोजन आस्था के साथ आर्थिकी का भी कारण बन सकता है। देश-प्रदेश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकते हैं। इसे अब तक हम नजरंदाज करते थे। पहली बार मेला महाशिवरात्रि तक चला।
प्रयागराज के बहुत सारे सबक भी हैं
सीएम ने कहा कि प्रयागराज के बहुत सारे सबक भी हैं। गीता में भगवान कहते हैं कि जो मुझे जिस रूप में भजता है, उसे मैं उसी रूप में दिखाई देता हूं। महाकुम्भ को जिसने जिस रूप में देखा, उसे उसी रूप में दिखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री मोदी के 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की अभिव्यक्ति का भी माध्यम बना। जाति, धर्म, भाषा, पंथ के भेद से मुक्त नदी के एक ही घाट पर सभी पवित्र भावना के साथ डुबकी लगा रहे थे। केंद्र व राज्य सरकार ने साढ़े सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से छह हजार करोड़ रुपये प्रयागराज शहर व आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुए। प्रयागराज की विरासत से जुड़े 12 कॉरिडोर (अक्षयवट, सरस्वती कूप, महर्षि भारद्वाज, श्रृंगवेरपुर, नागवासुकि, द्वादश माधव, लेटे हनुमान) आदि तैयार किया गया।