विश्व में प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

परमाधर्म संसद में शंकराचार्य हिन्दुओं के उत्पीड़न पर हुए मुखर

विश्व में प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

महाकुंभ नगर, 25 जनवरी । ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को बांग्लादेश में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को लेकर मुखर रहे। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में रहकर अपने योगदानों से पूरे विश्व के कोने-कोने को सींचने वाला हिन्दू अगर किसी परेशानी में पड़ता है तो उसके सामने प्रश्न है कि वह कहाँ जाए। ईसाई परेशान होगा तो उसके लिए पच्चीसों देश हैं, वह वहां चला जाएगा। मुसलमान परेशान हुआ तो उसके लिए भी पचासों देश हैं। वह वहाँ चला जाएगा।

शंकराचार्य प्रयागराज महाकुंभ में अपने शिविर में आयोजित परमधर्म संसद को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आज बांग्लादेश में केवल हिन्दू इसलिए प्रताड़ित हो रहा है कि वह हिन्दू धर्म को मानता है, लेकिन उसे छोड़ना नहीं चाहता। बांग्लादेशी मुसलमानों से सताए जाने पर अपने प्राणों को बचाने के लिए जब वह अपना घर-बार छोड़कर भारत में आना चाहता है तो भारत की सीमा पर सेना-पुलिस उसे उसी ओर वापस कर देती है। इन्हीं परिस्थितियों के सन्दर्भ में परमधर्म संसद् १००8 भारत सरकार से मांग करती है कि भारत को अपने संविधान में कड़े सुरक्षा उपायों के साथ संशोधन करना चाहिए। एक नागरिकता कानून पारित करना चाहिए, जिससे विश्वव्यापी प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत में प्रवास करने का अधिकार मिले और भारत आने के एक वर्ष के भीतर उन्हें नागरिकता प्रदान कर दी जाए।

शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी में जम्बूद्वीप और जम्बूद्वीप में भी भारतवर्ष-भारतखण्ड सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि धर्मदृष्टि से यही कर्म भूमि अर्थात धार्मिक दृष्टि से उपजाऊ भूमि है। बाकी भूमियाँ तो भोग भूमियाँ हैं। जिसे यहाँ जन्म मिला है वह भाग्यशाली है और उसके हजारों पूर्व जन्मों के पुण्यों के फलस्वरूप मिला है। इसलिए कोई भी हिन्दू इस भारत भूमि से अपना नाता नहीं तोड़ना चाहता। परन्तु भारत का कानून ऐसा है जिसमें किसी और देश की नागरिकता लेनी पड़े तो उसे भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ती है, जो पीड़ादायक है। परमधर्म संसद में विषय की स्थापना विशेषज्ञ मनोरंजन पांडेय ने किया। चर्चा में ब्रह्मचारी सहजानन्द ,ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द ने भाग लिया। धर्माधीश के रूप में देवेन्द्र पाण्डेय ने धर्म संसद् का संचालन किया।