संतों से ही पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा : चंपत राय

विहिप की बैठक में संतों ने हिन्दू धर्म व संस्कृति के संरक्षण संवर्धन पर रखे विचार

संतों से ही पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा : चंपत राय

प्रयागराज, 24 जनवरी । विश्व हिंदू परिषद, माघ मेला शिविर में आज मार्गदर्शक मंडल की बैठक हुई, जिसमें अनेक संतों ने हिंदू धर्म व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन से संबंधित विचार रखे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि संतों के मार्गदर्शन से ही हिंदू समाज आज पूरी दुनिया में हिन्दू संस्कृति एवं हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा सर्वोच्च है। संत लगातार हिन्दू समाज को संगठित और संस्कार युक्त बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं।

चंपत राय ने आगे कहा कि आज हिन्दू समाज के ऊपर अनेक प्रकार से आक्रमण हो रहे हैं जो कहीं अशांति की ओर ले जाने का प्रयास है। हिन्दू समाज के धैर्य की परीक्षा न ली जाए, हिन्दू समाज अपने ऊपर हुए हमले का जवाब देना जानता है।

उन्होंने कहा कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन इन्हीं संतों के मार्गदर्शन पर हुआ। नवीन पीढ़ी भी अपने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए बाल्यकाल से ही रुचिकर वातावरण में उसको संस्कार और हिन्दुत्व का ज्ञान होता रहे, इसके लिए संगठन की ओर से अनेक प्रयास चल रहे हैं। यह वही पुण्यभूमि है जहां पर लिया गया संकल्प पूर्ण होता है।



मार्गदर्शक मंडल की अध्यक्षता कर रहे जगतगुरु रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य ने कहा कि हिन्दू समाज के लिए वैश्विक स्तर पर एक समग्र नीति बननी चाहिए। जिसका मार्गदर्शन सामाजिक राजनीतिक धार्मिक स्तर पर हिन्दू समाज मजबूत हो। सभी जाति, मत, पंथ संप्रदाय की एकता ही हिन्दू समाज की एकता है। हिन्दू समाज स्वयं आगे आकर धर्मांतरण का विरोध करे, गौ हत्या बंद हो इसके लिए संतों को आगे आना चाहिए। पूरी दुनिया में शांति के लिए इस राष्ट्र की पहचान है, जो हिंदू धर्म के कारण है। हमारा धर्म और संस्कृति संरक्षित और संवर्धित हो, हमें इसके लिए प्रयास करना चाहिए।

डॉ राम कमल दास वेदांती ने कहा समान नागरिक आचार संहिता ही हिन्दू समाज के ऊपर हो रहे हमले को रोकने में एक मजबूत कदम होगा। हमारी सरकारों को चाहिए किस देश में एक निशान एक विधान होना चाहिए। जिससे समाज में संतुलन बना रहेगा। ऐसा प्रयास हम सबको करना चाहिए। वैदेही वल्लभा देवाचार्य ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी वनवासी क्षेत्रों में हम संतो को निकलकर प्रवास करना चाहिए। जो हिंदू संस्कृति और धर्म की मुख्य धारा से हटे हैं, उसे मुख्यधारा में लाने का कार्य हम संतो को करना है। जब जब हिंदू धर्म और इस राष्ट्र पर किसी प्रकार का आक्रमण हुआ है तो संत ही आगे आए हैं।

संतोष दास सतुआ बाबा ने कहा कि लगातार हमारे जनजाति समाज के ऊपर हमले हो रहे हैं, हिन्दू समाज को बांटने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। हमें जाति के नाम पर बांटने का बहुत बड़ा खेल ईसाई मिशनरियों द्वारा किया जा रहा है। हमारे असहाय निरीह बंधुओं को लोग लालच देकर धर्मांतरण का खेल चलाया जा रहा है। इसलिए हम संत समाज से यह आग्रह करते हैं कि वह निकलकर इस घिनौने कुचक्र को समझाएं और सामाजिक समरसता की अनेक कार्यक्रम संतों द्वारा आयोजित किए जाएं।

कृष्ण आचार्य ने कहा कि आज हिंदू समाज में बाल संस्कार के लिए विहिप ने जो योजना बनाई है उस पर संत समाज पूरा सहयोग करेगा और हिंदू हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों बुराइयों को समाप्त करने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित करने की पहल करेगा।

डॉ नरसिंह दास ने कहा हम आगे आने वाली पीढ़ियों में केवल अपने संस्कृति का ज्ञान और महापुरुषों का इतिहास का ज्ञान करवाते रहें। हिंदू समाज की रक्षा के लिए हमें जीवन को लगा देना चाहिए। विश्व हिंदू परिषद का कार्य ईश्वरीय है इसलिए इस पुण्य भूमि पर हम लोग एकत्रित होकर जो संकल्प लेते हैं वह अब तक पूरा होता आया है।

बैठक में संतों के समक्ष विचारणीय विषय वैदिक सनातन जीवन मूल्य, ग्रामीण वनवासी क्षेत्रों में प्रवास, घर वापसी, राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, समान नागरिक संहिता लव जिहाद और धर्मांतरण का प्रस्ताव अखिल भारतीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख जिवेश्वर मिश्र ने रखा।

संचालन अखिल भारतीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने किया। इस दौरान प्रमुख रूप से स्वामी गोपालजी महाराज सच्चा आश्रम, स्वामी राम रतन दास, फुल हरि बाबा, स्वामी लाल बाबा सुदामा कुटी, अटल अखाड़ा बलराम गिरी, निरंजनी अखाड़ा हरिहरानंद सरस्वती, संतोष दास खाकी पुरुषोत्तम दास शिवपुरी अवधेश दास, रासबिहारी, विहिप के क्षेत्रीय संगठन मंत्री गजेंद्र, प्रांत संगठन मंत्री मुकेश कुमार, काशी प्रांत धर्माचार्य सम्पर्क प्रमुख आद्या शंकर, विहिप काशी प्रांत के अध्यक्ष के पी सिंह उपस्थित रहे।