तीर्थराज प्रयाग पहुंचे स्वामी चिदानन्द मुनि
तीर्थराज प्रयाग पहुंचे स्वामी चिदानन्द मुनि
महाकुम्भ नगर, 10 जनवरी(हि.स.)। तीर्थराज प्रयाग की पवित्र धरती पर, सनातन गर्व महाकुम्भ पर्व के दिव्य अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द मुनि ने परमार्थ निकेतन शिविर का शुभारंभ किया। इस शिविर का आयोजन सनातन, पुरातन, भारतीय और वैश्विक संस्कृतियों के मिलन के प्रतीक के रूप में किया गया है। परमार्थ निकेतन शिविर का शुभारम्भ वेद मंत्रों, पूजन और महायज्ञ के साथ किया गया।
परमार्थ निकेतन शिविर विशेष रूप से पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक मुक्त व इको-फ्रेंडली शिविर बनाया गया है, जो स्वच्छता और हरित जीवन का संदेश दे रहा है। यह अभियान भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति आस्था को और मजबूती से स्थापित करेगा। इस शिविर का उद्देश्य न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कार्य करना है, बल्कि यह भारतीय और वैश्विक संस्कृतियों के मध्य सामंजस्य और सहयोग की भावना को जागृत करना भी है।
परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में ‘भारत दर्शनम् की एक दिव्य झलक देखने का अवसर सभी श्रद्धालुओं को प्राप्त होगा। यहां श्रद्धालु भारतीय संस्कृति और परंपराओं से संबंधित एक अद्वितीय अनुभव प्राप्त करेंगे। साथ ही भारतीय सभ्यता के गौरवमयी इतिहास और संस्कृतियों के अनमोल रत्नों को देखा जा सकेगा।
परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल प्रयागराज में 13 जनवरी पौष पूर्णिमा स्नान, 14 जनवरी मकर संक्रांति शाही स्नान, 18 जनवरी - 26 जनवरी, दिव्य कथा संत मोरारी बापू के श्रीमुख से श्री राम कथा, 27 जनवरी- 31 जनवरी, पूज्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार के पावन सान्निध्य में विशेष कार्यक्रम, 29 जनवरी, मौनी अमावस्या शाही स्नान, 1 फरवरी - 5 फरवरी, प्राणायाम कार्यशाला-अपनी श्वास की शक्ति को जागृत करें, 3 फरवरी- बसंत पंचमी शाही स्नान, 3 फरवरी - 12 फरवरी- दिव्य श्रीराम कथा पूज्य संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से, 4 फरवरी- अचला सप्तमी स्नान, 4 से 6 फरवरी लिटरेचर सोशल मीडिया महाकुम्भ, 7 फरवरी - 9 फरवरी- जी-100 महाकुंभ नारी सम्मेलन और रिट्रीट और विद्वत महाकुम्भ, 12 फरवरी-माघी पूर्णिमा स्नान, 14 से 16 हिन्दी साहित्य महाकुम्भ, 15 फरवरी - 20 फरवरी- कीवा कुंभ मेला, 16 से 18 शिव योग कथा, 20 फरवरी - 26 फरवरी योग कुंभ प्रयागराज कुंभ मेला, 21 से 26 श्री रामलीला, 26 फरवरी- महाशिवरात्रि स्नान का दिव्य आयोजन किया जा रहा है।
इस शिविर में वेद मंत्रों, विशेष पूजन, महायज्ञ और संतों के दिव्य प्रवचनों का अनुभव प्रदान करेंगे। यहाँ हम सभी मिलकर सनातन संस्कृति और भारतीय तात्त्विकता की महिमा को पुनः प्रकट करेंगे।
विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द मुनि ने कहा कि हिन्दी, केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह हमारे दिलों की धड़कन है। यह न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में भारतीयों और विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह भाषा हमें न केवल एक दूसरे से जोड़ती है, बल्कि हमें हमारी जड़ों, हमारी विरासत और हमारे मूल्यों से भी जोड़ती है।
हिन्दी को अपनाकर हम न केवल भारत की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं, बल्कि हम दुनिया भर में शांति और एकता का संदेश भी प्रसारित करते हैं। हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो भारतीय सभ्यता, संस्कृति और साहित्य को दुनिया में उजागर करने की क्षमता रखती है। हम इस भाषा से जुड़कर अपनी संस्कृति को सहेजने में अपना योगदान दे सकते हैं। हमारा छोटा सा प्रयास हिन्दी को न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सम्मान दिला सकता है इसलिए आइए इसे अपने दिलों में स्थान दें।