सपा का पीडीए फार्मूला फेल, मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा कुंदरकी में चली भगवा लहर

सपा का पीडीए फार्मूला फेल, मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा कुंदरकी में चली भगवा लहर

सपा का पीडीए फार्मूला फेल, मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा कुंदरकी में चली भगवा लहर

मुरादाबाद, 24 नवम्बर । बीते लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक (पीडीए) फार्मूले ने अपना रंग दिखाया। मगर उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में सपा का पीडीए फार्मूला फेल हो गया। मुरादाबाद जनपद की मुस्लिम बाहुल्य सीट कुंदरकी विधानसभा में 31 साल बाद प्रचंड जीत के साथ कमल खिलना यह साबित करता हैं कि यहां के मुस्लिम मतदाताओं ने पीडीए को दरकिनार करके मोदी-योगी शासन को पसंद किया और भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह ठाकुर को दिल खोलकर वोट दिया।

चुनावी विश्लेषकों का कहना हैं कि कुंदरकी के चुनाव परिणाम ने पूरे देश को संदेश दे दिया हैं कि मुस्लिम वोट किसी के हाथों की कठपुतली नहीं है, वो जिसे चाहे उसे जिताएगा।

कुंदरकी विधानसभा उप निर्वाचन में भाजपा के उम्मीदवार रामवीर सिंह ने दो बार लगातार कुंदरकी से विधायक रहे सपा के प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान को 144742 वोटों से करारी शिकस्त दी। भाजपा को 170303 वोट जबकि रिजवान को 25,561 वोट मिले। कुंदरकी में कई मायनों में ऐतिहासिक है। कुंदरकी विधानसभा में मुस्लिम-हिंदू मतदाताओं का 65ः35 है। ऐसे में यहां से भाजपा का कमल खिलना आसान नहीं था। तीन दशक के बाद मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन के कारण भाजपा की असम्भव जीत संभव हुई। जहां रामवीर सिंह ठाकुर के लिए एक अहम राजनीतिक मील का पत्थर साबित होगी वहीं भाजपा भी इस हिंदू-मुस्लिम गठजोड़ फार्मूले को अन्य चुनावों में अजमाकर देखेगी।

चुनावी विश्लेषक वरिष्ठ पत्रकार श्याम खन्ना ने कहा कि मुस्लिम वोटों को कठपुतली मानकर इस्तेमाल किया जाता था। इसको कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव ने खारिज कर दिया। यहां के मुस्लिम मतदाताओं ने चुनाव परिणाम से पूरे देश को संदेश दे दिया वह जिसे चाहे उसे जिताएगा।

शिक्षाविद् डा. एके सिंह ने कहा कि कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी हो सकता हैं कि यहां हुई चुनावी जनसभाओं में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक आदि की कई नेताओं व मंत्रियों की जनसभाएं हुई। किसी ने भी बटोगे तो कटोगे, राम मंदिर, काशी-मथुरा विवाद, एनआरसी, जनसंख्या नियंत्रण कानून, तीन तलाक जैसे मुस्लिम नाराजगी के मुद्दों का कोई जिक्र नहीं किया। इससे चुनाव के प्रारंभ से मुस्लिम मतदाताओं की पंसद बने भाजपा उम्मीदवार ईवीएम का बटन दबाने तक पसंद बने रहे।