"उभरता सितारा" श्लोक कुमार साहित्य जगत में एक नई पहचान बना चुके हैं
"उभरता सितारा" श्लोक कुमार साहित्य जगत में एक नई पहचान बना चुके हैं
“उभरता सितारा” विषय पर चर्चा करते हुए, ग्राम सभा सेमरी (चडरहां) कछवा मिर्जापुर के निवासी बालक श्लोक कुमार का उल्लेख करना जरूरी है। श्लोक ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक की पढ़ाई करते हुए साहित्य के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है। उनकी रचनाएँ न केवल कल्पनाशीलता का परिचय देती हैं, बल्कि समाज की विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करती हैं।
उनकी प्रमुख रचनाएँ जैसे "मुर्दे की ख्वाहिश", "सोने की घड़ी", "वाणिनी", "मणिपुर ए छीजन", "माँझी", "बरेदी", "कठपुतली", "आंसू", "तड़ी", "अंजामें खत", "उन्मुक्त", "साहित्यकार का दायित्व", "वो है मुसहर", "प्रेमिका की चाहत", और "एक दहा उपरदहा" हिंदी साहित्य की विविधता और गहराई को दर्शाती हैं। हर एक कृति में श्लोक ने अपने अनुभवों और विचारों को एक अलग प्रस्तुति दी है, जो पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करती है, बल्कि उन्हें प्रेरित भी करती है।
श्लोक कुमार की रचनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि युवा लेखकों में अद्भुत प्रतिभा होती है और वे सामाजिक मुद्दों को अपनी लेखनी के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं। उनकी यह यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य युवा लेखकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रही है। वास्तव में, श्लोक कुमार एक उभरते हुए सितारे हैं, जो भविष्य में साहित्य के क्षेत्र में और भी चमक बिखेरेंगे।
Quest for identity, My near lady thine long hair, My love,My life, O! My mind , Lover's like a cover, Don't chant, help the needy , O! My worthy pen, Aww! Quit the bloody knife, A group of Smoker, Dream: My honey , A Gambian Julian's affection etc.अंग्रेजी रचनाएँ है। उपर्युक्त सभी रचनाएँ Google एवं संबंधित वेबसाइट पर उपलब्ध है। ये रचनाएँ अतिरोचक एवं हृदय को छू लेने वाली है , जिनमें मुर्दे की ख्वाहिश को पढ़ने वालों की संख्या अबतक 14 लाख के पार हो चुकीं है जो अपने आप में एक मिशाल है। इनकी किताबों की बात करे तो प्रमुख रूप से दो किताबें एवं एक लघु कथा है। हाशिये पर मुसहर ( दलित शोषित समाज) , मन्नत ए अल्फ़ाज़(शायरी) , जल (लघुकथा) आदि। इन्होंने अपनी अद्वितीय लेखन शैली एवं कुशल लेखन क्षमता के बल पर कई प्रकार के रिकॉर्ड्स (पुरस्कार) भी अपने नाम किए है। इनकी तमाम रचनाएँ जानी मानी मासिक पत्र - पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुकी है जैसे प्रवक्ता, जयदीप पत्रिका, नव उदय, अनहद कृति, कविशाला, माई पोएटिक साइड, साहित्य आजकल, अमर उजाला। श्लोक कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि गुदड़ी में भी लाल होता है। सबसे बड़ी बात यह कि इनका नाम भारत यूथ अवॉर्ड, गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया है। बताते चले कि इस होनहार बालक ने “जल” नामक शीर्षक की लघु कथा से हम सभी राष्ट्र को जल के महत्व व जल संकट से उबरने के लिए प्रेरणा का काम किया है। इसके अलावा एक ऐसे समाज का वर्णन किया है (हाशिये पर मुसहर) में जो इतिहास के पन्नों में होकर भी गतिशील आर्थिक सामाजिक विकास से कोसों दूर हैं। ऐसे वंचित समाज के अधिकार और उत्थान के लिए एक गूंगे को आवाज देने का काम किया हैं।
“ जुगनुओ का शहर नहीं गाँव चाहिए
मुर्दे की भी ख्वाहिश, सुख- शांति चाहिए”।
श्लोक कुमार का जन्म मिर्जापुर जिले के चड़रहा गाँव में हुआ, जहाँ उनके माता-पिता अभी भी निवास करते हैं। उनकी माता, राजकुमारी देवी, पंचायत विभाग में सफाईकर्मी हैं जबकि उनके पिता, चंद्रशेखर, एक प्रवक्ता हैं। श्लोक की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई, और उन्होंने अपनी 10वीं कक्षा की पढ़ाई मिर्जापुर जिले के श्री राम पब्लिक स्कूल से प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद, उन्होंने 12वीं की पढ़ाई भी मिर्जापुर के राजस्थान इंटर कॉलेज से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की, जिससे उनकी शैक्षणिक सफलता की नींव तैयार हुई।
श्लोक ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों की परीक्षा दी और उनमें से कई प्रतिष्ठित संस्थानों में सफलता प्राप्त की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जिसे ऑक्सफोर्ड के नाम से भी जाना जाता है, में उन्होंने दाखिला लिया और वर्तमान में वे वहाँ के तृतीय वर्ष के विद्यार्थी हैं। उनकी पहली पुस्तक "हाशिये पर मुसहर" दलित और जातिवाद पर आधारित है, जिसने उनके जीवन की दिशा मोड़ दी। इस पुस्तक ने उन्हें कई पुरस्कार दिलाए, । इसके साथ ही, उन्होंने विश्व स्तर पर भी Recognition हासिल किया और सबसे कम उम्र के लेखक का खिताब अपने नाम किया।
उनकी लघु कथा "जल" ने भी उन्हें मान्यता दिलाई, जिसमें उन्होंने एक लाख प्रतिभागियों में दूसरा स्थान प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त, वूमनहुड फेस्ट अंतर्राष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में उन्होंने "A" श्रेणी के साथ प्रथम स्थान भी हासिल किया। श्लोक कुमार की लेखनी न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है, जिससे वे युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। उनका काम भारतीय साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान को सराहता है और उनके भविष्य की संभावनाओं को उजागर करता है।