ग्लोबल साउथ मिलकर वैश्विक राजनीतिक व वित्तीय प्रशासन को नया स्वरूप दें : प्रधानमंत्री मोदी
ग्लोबल साउथ मिलकर वैश्विक राजनीतिक व वित्तीय प्रशासन को नया स्वरूप दें : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 12 जनवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों के सम्मेलन में कहा कि हमें मिलकर वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय प्रशासन को नया स्वरूप देने का प्रयास करना चाहिए।
भारत की वैश्विक पहल पर आयोजित ''वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ'' समिट में इन देशों के नेताओं ने वर्चुअल माध्यम से शिरकत की। अपने प्रारंभिक संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि सम्मेलन हमारे सामूहिक भविष्य के लिए नेक विचार हासिल करने का एक सामूहिक प्रयास है। प्रधानमंत्री मोदी ने आह्वान किया की सभी विकासशील देशों को नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए एक दूसरे का समर्थन करना चाहिए। इससे हमारे नागरिकों का कल्याण सुनिश्चित होगा।
उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारत उनकी प्राथमिकताओं को अपनी प्राथमिकताएं मानता है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने विकासशील देशों को असमानता दूर करने, विकास की ओर बढ़ने और प्रगति व समृद्धि पाने से जुड़ा कार्य एजेंडा ''रेस्पॉन्ड, रिकॉग्नाइज, रिस्पेक्ट और रिफॉर्म'' दिया।
प्रधानमंत्री ने एक समावेशी और संतुलित अंतरराष्ट्रीय एजेंडा बनाकर ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं की ओर ध्यान दिलाना। यह स्वीकार करना कि ''साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व'' का सिद्धांत सभी वैश्विक चुनौतियों पर लागू होता है। सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान हो, कानून का शासन हो और मतभेदों तथा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान हो। संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए उनमें सुधार हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदलता है, हमें उभरती हुई व्यवस्था को आकार देने का प्रयास करना चाहिए। मोदी ने कहा कि विकासशील दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद वे आशावादी हैं कि हमारा समय आ रहा है। सरल, स्केलेबल और टिकाऊ समाधानों की पहचान करना समय की मांग है।
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई।उन्होंने कहा कि अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ ने नहीं बनाई हैं, लेकिन वे हमें अधिक प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान जी20 वैश्विक दक्षिण की आवाज को उठाएगा और आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि जी-20 प्रेसीडेंसी के लिए भारत ने - "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" का विषय चुना है।