विपरीत परिस्थितियों में भी न्याय के दरवाजे जनता के लिए बंद नहीं : हाईकोर्ट
विपरीत परिस्थितियों में भी न्याय के दरवाजे जनता के लिए बंद नहीं : हाईकोर्ट
प्रयागराज, 07 जुलाई )। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चाहे कितनी विपरीत परिस्थितियां क्यों न हों, जिला अदालतें न्याय के दरवाजे जनता की पहुंच से बाहर नहीं रख सकते। न्याय के दरवाजे बंद नहीं हो सकते।
ऐसा करना न केवल पहले से जूझ रहे हाईकोर्ट पर बोझ बढ़ाना है, अपितु कोविड में आर्थिक संकट का सामना कर रहे लोगों को हाईकोर्ट आने का खर्च उठाने को विवश करना है। कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस अपराधियों को पकड़कर रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर सकती है और वह जेल भेज सकते हैं, तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए जमानत अर्जी की सुनवाई के लिए अदालत क्यों नहीं बैठ सकती।
अलीगढ़ जिला अदालत में जमानत अर्जी दाखिल करने में असमर्थ याची ने सीधे हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने याची को अपना आपराधिक इतिहास दाखिल करने का समय दिया। राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति की गई थी। अर्जी की सुनवाई 9 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने फैजान इलाहाबादी की अर्जी पर दिया है।
19 मई 21 को जमानत अर्जी जिला अदालत अलीगढ़ में दाखिल की गई। कहा गया कि अलीगढ़ जिला अदालत में कोरोना में लॉकडाउन के कारण केवल ऑनलाइन वर्चुअल सुनवाई हो रही है। अर्जी स्वीकार नहीं की गई। इसलिए जमानत अर्जी हाईकोर्ट में सीधे दाखिल की गई।
सरकारी वकील ने आपत्ति की कि याची ने एक ही अपराध का खुलासा किया है। जबकि उसके खिलाफ पांच आपराधिक केस का इतिहास है। कोर्ट ने याची को दर्ज अपराधों का खुलासा करने का निर्देश दिया है।