गंगा प्रदूषण मामला : प्रमुख सचिव पर्यावरण उप्र दो फरवरी को तलब

वाराणसी टेंट सिटी का मुद्दा भी कोर्ट में उठा

गंगा प्रदूषण मामला : प्रमुख सचिव पर्यावरण उप्र दो फरवरी को तलब

प्रयागराज, 19 जनवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण मामले में प्रमुख सचिव पर्यावरण उप्र को दो फरवरी अगली सुनवाई की तिथि पर हाजिर होने का निर्देश दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की पूर्णपीठ ने गंगा प्रदूषण को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।

राज्य सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामा अपठनीय संलग्नक के साथ अस्पष्ट होने के कारण कोर्ट ने यह आदेश दिया। प्रमुख सचिव ने लखनऊ में हलफनामा तैयार कराकर प्रयागराज भेजा। महाधिवक्ता ने कहा उन्हें आज साढ़े ग्यारह बजे दिन में प्राप्त हुआ। स्पष्ट हलफनामा न होने के कारण प्रमुख सचिव को बुलाया है।

महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कोर्ट को बताया कि माघ मेले में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की अस्थाई व्यवस्था की गई है और नालों को टैप किया गया है। उनका शोधन बायोरिमेडियल सिस्टम से किया जा रहा है। सलोरी एसटीपी क्षमता के अनुसार शोधन कर रही है। परेड ग्राउंड व अलोपीबाग का सीवर राजापुर एसटीपी भेजा जा रहा है।

इस पर कोर्ट ने एक अखबार में छपी बक्शी नाले की तस्वीर महाधिवक्ता को दिखाई और कहा बायोरिमेडियल सिस्टम एक धोखा है और एसटीपी में क्षमता से अधिक गंदा पानी पहुंचने से शोधन आंख में धूल झोंकने के शिवाय कुछ नहीं।

न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि जितनी शोधन क्षमता है उसका दोगुना पानी एसटीपी में जा रहा है। एसटीपी का संचालन अडानी ग्रुप की कंपनी को दिया गया है। उन्होंने सीवर का कनेक्शन न किये जाने का मामला भी उठाया। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिवक्ता बाल मुकुंद सिंह ने कहा कि शोधन में मानक का पालन नहीं किया जा रहा। भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याची अधिवक्ता शैलेश सिंह ने गन्दे नाले गंगा में जाने का मुद्दा उठाया और स्नान पर्व पर गंगा स्नान को पर्याप्त जल आपूर्ति के लिए शासन की तारीफ की।

अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व सुनीता शर्मा की तरफ से बायोरिमेडियल सिस्टम को धोखा बताया गया। उन्होंने स्नान पर्व से दो दिन पहले गंगा का पानी भूरा होने का फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाया। साथ ही वाराणसी में गंगा पार रेत में टेंट सिटी में व्यापार पर आपत्ति की और कहा कि सरकारी आदेश का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। केंद्र सरकार के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की 7 अक्टूबर 16 को जारी अधिसूचना का हवाला दिया गया। जिसमें गंगा किनारे स्थाई रिहायशी व व्यावसायिक निर्माण पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद वाराणसी में टेंट सिटी तैयार कर व्यवसाय किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 2 फरवरी को होगी।