छठ: अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया पहला अर्घ्य, परिवार के लिए मंगलकामना
आतिशबाजी के बीच छठ माता का पूजन अर्चन
वाराणसी, 10 नवम्बर। काशी पुराधिपति की नगरी में बुधवार को लोक आस्था के महापर्व डाला छठ (सूर्य षष्ठी)पर उल्लासपूर्ण माहौल में व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। इस मौके पर छठ माता का श्रद्धा के साथ पूजन-अर्चन भी किया। महिलाएं गुरूवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उपवास खोलेंगी और प्रसाद ग्रहण करेंगी।
महापर्व के तीसरे दिन लाखों व्रती महिलाओं के साथ उनके परिजनों ने पूरे आस्था और विश्वास के साथ गंगा, वरूणा तट,कुंडों,तालाबों, घर के छतोें और कालोनियों के अस्थाई तालाबों पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का पहला अर्घ्य दिया । साफ—सफाई और शुद्धता से बने विविध पकवानों और मौसमी फलों से सजे सूप के आगे से अर्घ्य देकर व्रतियों ने भगवान सूर्य और छठी मइया से परिवार में मंगलकामना,वंशवृद्धि,संतति के कल्याण की गुहार लगाई। इस दौरान गंगा घाटों, सरोवरों,कुंडों, जलाशयों पर महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की भारी भीड़ जुटी रही ।
अर्घ्य देने के पूर्व गंगा घाटों पर व्रती महिलाएं जहां वेदी का पूजन कर फल से भरे बांस के सूप को हाथ में लेकर कमर भर पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की मौन उपासना कर रही थी। वहीं, उनके साथ आई महिलाएं छठी मइया का परम्परागत गीत गा रही थीं,तो बच्चे और युवा आतिशबाजी कर रहे थे । अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं छठी मइया का गीत गाते डाल व सूप लेकर घर लौटते समय कलश पर जलता हुआ दीपक हाथ में लिए थी। सड़क पर भीड़ के धक्के से दीपक को बचाने के लिए परिवार के अन्य सदस्य उस दीपक के चारों ओर घेरा बना कर चल रहे थे।
इसके पूर्व दोपहर बाद से ही गंगा तट,कुंड सरोवरों पर 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रख महिलाएं समूह में परिजनों के साथ छठ मइया की पारम्परिक गीत गाते हुए पहुंचने लगी । परिजन भी लाल और पीले कपड़ों की पोटली में रखे डाल दउरी (पूजन सामग्री,फल,फूल)सिर पर रख गाजे बाजे के साथ चल रहे थे। इस दौरान बच्चों और युवाओं में आस्था और जोश देखते ही बन रहा था। घाट पर पहुंचने के बाद व्रती महिलाओं ने दीप प्रज्वलित कर वेदी पूजन कर छठ मईया की पूजा की । इसके बाद एक दीप गंगा मईया और एक दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया । फिर गंगा में कमर भर पानी में जाकर खड़ी हो गई। भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी होने पर उन्हें अर्घ्य दिया ।
छठी मइया की विधिवत पूजा के बाद मन्नत पूरी होने पर रात में कोसी भी भरेगी। पर्व पर सामनेघाट ,अस्सीघाट, तुलसी घाट, हनुमान घाट से लेकर मान सरोवर पांडेय घाट, दरभंगा घाट, मीरघाट, सिंधिया घाट ,गायघाट, भैसासुर तक सिर्फ छठी मइया के भक्त नजर आ रहे थे। सर्वाधिक भीड़ दशाश्वमेध घाट,अस्सीघाट,पंचगंगा,सामनेघाट पर रहा। इस दौरान घाटों पर एनडीआरफ की पूरी बटालियन,जल पुलिस भी चौकस नजर आई। पर्व पर डीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर,सूरज कुंड,लक्ष्मीकुंड, ईश्वरगंगी तालाब,पुष्कर तालाब, संकुलधारा पोखरा, रामकुंड के साथ घरों और कालोनियों में बने अस्थाई कुंडों पर अर्घ्यदान के लिए व्रती महिलाएं और उनके परिजन जुटे रहे। इन कुंडों तालाबों के आसपास आकर्षक सजावट भी की गई थी।
गंगा तट,सामनेघाट और बीएलडब्ल्यू स्थित सूर्य सरोवर के आसपास विभिन्न सामाजिक संगठनों,राजनीतिक दलों की ओर से सहायता एवं सेवा शिविर भी लगाए गए थे।