विवादित बयान: बना देते जिन्ना को प्रधानमंत्री तो भारत का बंटवारा कभी नहीं होता :ओमप्रकाश राजभर

विवादित बयान: बना देते जिन्ना को प्रधानमंत्री तो भारत का बंटवारा कभी नहीं होता :ओमप्रकाश राजभर

वाराणसी, 10 नवम्बर । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के पाकिस्तान संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना प्रेम के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी विवादित बयान दिया है।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि देश का पहला प्रधानमंत्री अगर जिन्ना को बना दिया गया होता तो भारत का बंटवारा कभी नही होता।

राजभर बुधवार को भोजूबीर स्थित एक लान में पार्टी की ओर से आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने के बाद मीडिया से रूबरू थे। भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए राजभर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक जिन्ना की तारीफ किया करते थे। आज जिन्ना की चर्चा ही नहीं होती। जेल में बंद मउ सदर के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी से मुलाकात पर उठ रहे सवालों पर पलटवार कर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि

हम किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत उनसे मिलने नहीं गए थे। सरकार ने सप्ताह में 2 दिन मिलने की व्यवस्था बनाई है,इसलिए जेल में मिलने गया था। राजभर ने भाजपा को निशाने पर लेकर कहा कि सरकार बनाने में अगर दो सीट भी कम होगी। तो ये मुख्तार का पैर पकड़ लेंगे।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मुख्तार अंसारी ने मऊ सदर से चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। वह जहां से चुनाव लड़ना चाहेंगे हम उन्हें चुनाव लड़ायेंगे। मुख्तार मउ सदर सीट से पांच बार से विधायक चुने गये। उन्हें जनता जीत दिलाती है और भाजपा के लोग मदद करते हैं। एक सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि भाजपा का बस चलता और संविधान न होता तो मुख्तार की हत्या करवा देते अब तक। प्रदेश के कानून व्यवस्था के बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर चिर परिचित अंदाज में हमला बोल राजभर ने अपने को दलितों, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और वंचितों का नेता बताया। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद के विवादास्पद बयान से जुड़े सवाल पर राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ -प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हिंदू के ठेकेदार क्या कर रहे हैं। भाजपा उनके ऊपर किसी तरह की कार्रवाई करेगी?। कुछ नही करेगी गठबंधन किए हुए हैं और उनके साथ रहने वाले कुछ भी बोल दे तो माफ है। यह बयान मूल समस्याओं से ध्यान भटकाने की साजिश है।