अन्तराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री मिलने पर रायबरेली में जश्न का माहौल

अन्तराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री मिलने पर रायबरेली में जश्न का माहौल

अन्तराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री मिलने पर रायबरेली में जश्न का माहौल

रायबरेली, 10 नवम्बर । कभी राजनीतिक गलियारे में बेहद महत्वपूर्ण रहे रायबरेली की शान में अब चार चांद लगे हैं। मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में अन्तराष्ट्रीय एथलीट सुधा सिंह को पद्मश्री मिलने के बाद यहां जश्न का माहौल है।

रायबरेली में 25 जून 1986 को जन्मी सुधा सिंह के पिता हरिनारायण सिंह शहर के शिवाजी नगर में रहते हैं। कुछ साल पहले ही वह आईटीआई से सेवानिवृत्त हुए हैं। सुधा सिंह को इसके पहले भी कई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें एशियन गेम्स में तीन हज़ार की स्टीपल चेज प्रतियोगिता में गोल्ड और सिल्वर मिला है जिसके लिए उन्हें देश का सर्वोच्च पुरस्कार अर्जुन अवार्ड भी दिया जा चुका है। इसके अलावा केन्द्र और राज्य के कई पुरस्कार उन्हें मिल चुके हैं। अभी हाल में ही उन्हें रेल कोच फैक्ट्री लालगंज में उन्हें स्पोर्ट्स ऑफिसर के पद पर तैनात किया गया है।


राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद्मश्री मिलने पर खेल प्रेमियों और स्थानीय नागरिकों ने ख़ुशी जाहिर की है। सुधा सिंह का पूरा परिवार इस समय दिल्ली में है। सुधा सिंह ने यह सम्मान अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा कि आज जो कुछ भी वो केवल अपने पिता की बदौलत है।

पढ़ाई से बचने के लिए कभी दौड़ती थी सुधा

ट्रैक और फ़ील्ड में बेहद कठिन स्पर्धा स्टीपल चेज मानी जाती है।इसी क्षेत्र में सुधा सिंह एक बड़ा नाम है, लेकिन उनकी इस क्षेत्र में रुचि बढ़ने के पीछे भी कहानी है। उनके पारिवार के बेहद करीबी लोग बताते है कि सुधा सिंह पढ़ाई में बेहद कमजोर थी और उनका मन नही लगता था। इसके लिए वह हमेशा खेलती रहती थी। उन्हें जब स्कूल जाना होता था तो वह साथियों के साथ बगल के खेतों की ओर निकल जाती थी और वहीं घंटों खेलती रहती थी। वह बाग में चारों ओर कई चक्कर लगाती थी। यहीं से दौड़ने के प्रति उनके मन मे रुचि पैदा हुई और बाद में स्टीपल चेज को उन्होंने अपना कैरियर बनाया।