एक मुकदमा के आधार पर गुंडा एक्ट के तहत जारी नोटिस रद्द
एक मुकदमा के आधार पर गुंडा एक्ट के तहत जारी नोटिस रद्द
प्रयागराज, 23 जून (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आगरा के एतमादपुर थाने में रेप और मारपीट के मामले में दर्ज केवल एक प्राथमिकी के पर आधार याची के खिलाफ उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत अपर पुलिस आयुक्त की ओर से जारी नोटिस को सही नहीं माना और उसे रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि अगर याची के खिलाफ कोई नए तथ्य सामने आए तो नए सिरे से कारण बताओ नोटिस जारी की जा सकती है। यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ श्रीचंद उर्फ श्रीनिवास उर्फ राम निवास की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि अपर पुलिस आयुक्त आगरा ने उस पर एतमादपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के लिए 15 मई 2023 को नोटिस जारी की है। जबकि उसके खिलाफ गलत तरीके से प्राथमिकी दर्ज कराई गई और झूठे आरोप लगाए गए हैं। ट्रायल कोर्ट ने मामले में उसे जमानत दे रखी है। याची न तो गैंग लीडर है और न ही किसी गैंग का सदस्य है। याची ने अपर पुलिस आयुक्त की नोटिस को सुप्रीम कोर्ट द्वारा विजय नारायण सिंह बनाम बिहार राज्य व अन्य और इमरान उर्फ अब्दुल कुदुस खान बनाम यूपी राज्य के मामले में दिए गए आदेश के खिलाफ बताया।
यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के इन्हीं आदेशों के आधार पर महेंद्र उर्फ पप्पू बनाम यूपी राज्य व अन्य के मामले में जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द कर दिया था।
इस पर कोर्ट ने कहा कि इन तथ्यों के आलोक में सरकारी अधिवक्ता द्वारा कोई बहस नहीं की जा सकती है। लिहाजा, तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची के खिलाफ जारी नोटिस को रद्द किया जाता है। अगर, याची के खिलाफ कोई नए तथ्य सामने आते हैं तो नए सिरे से नोटिस जारी करने की प्रतिवादी को छूट रहेगी।