लोकसभा चुनाव : अमेठी 43 साल बाद फिर दोहरा सकता है इतिहास

लोकसभा चुनाव : अमेठी 43 साल बाद फिर दोहरा सकता है इतिहास

लोकसभा चुनाव : अमेठी 43 साल बाद फिर दोहरा सकता है इतिहास

अमेठी, 01 मई । लोकसभा सीट अमेठी अपना पुराना इतिहास दोहराने के कगार पर खड़ी है। इस सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा अभी तक नहीं हो सकी है। लगातार संशय बरकरार है। ऐसा प्रतीत हो रहा है की 1981 के उपचुनाव को अमेठी 2024 में दोहराएगा। अर्थात पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा के साथ ही उसी दिन नामांकन भी हो सकता है।



दरअसल तीन मई तक अमेठी लोकसभा सीट के लिए नामांकन करने की अंतिम तिथि निर्धारित है। लेकिन अभी तक कांग्रेस पार्टी के द्वारा किसी भी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की जा सकी है। 1980 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के छोटे सुपुत्र संजय गांधी चुनाव मैदान में उतरे और अमेठी से उनको जबरदस्त जीत हासिल हुई। लेकिन यह जीत की खुशियां लंबी नहीं हो सकी। क्योंकि एक साल के अंदर ही संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद अमेठी लोकसभा सीट पर 1981 में उपचुनाव कराए गए। इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार के चयन को लेकर लगातार वाहनों की स्थिति बनी रही। 1981 में लोक दल ने शरद यादव को टिकट दिया था। उन दिनों समाजवादी नेता शरद यादव काफी तेज तर्रार नेता माने जाते थे। जिसके कारण कांग्रेस पार्टी किसको टिकट दे इसे लेकर असमंजस की स्थिति में बनी। क्योंकि उस समय राजीव गांधी राजनीति में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे। वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे। अमेठी लोकसभा सीट पर चुनाव की सूचना जारी हो गई थी। शरद यादव ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। इसी चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने काफी पशोपेश के बाद राजीव गांधी को चुनाव मैदान में उतारा। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस ने जिस दिन अपने उम्मीदवार की घोषणा की उसी दिन उनके उम्मीदवार के रूप में राजीव गांधी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया।



ठीक वही स्थिति अब 43 साल के बाद फिर से बनी है। कांग्रेस ऊहापोह में फंसी हुई है। भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। ऐसे में अब लगता है कि लगभग पांच दशक बाद अमेठी अपना इतिहास एक बार पुनः दोहराने जा रही है।