शम्भुनाथ इंस्टीट्यूशन  में  यूरेका 2024 के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ

शम्भुनाथ इंस्टीट्यूशन  में  यूरेका 2024 के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ

शम्भुनाथ इंस्टीट्यूशन  में  यूरेका 2024 के अंतर्गत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ

प्रयागराज, शम्भुनाथ इंस्टीट्यूशन में गुरुवार को  यूरेका 2024 के दुसरे दिन कि शाम को कवि सम्मेलन में मशहूर कवियों ने अपनी कविताओं से समां बाँधा ,कार्यक्रम में कविता तिवारी,डॉ. विष्णु सक्सेना,अखिलेश द्विवेदी,शैलेन्द्र मधुर,मनिका दुबे,सबीना अदीब और नीलोत्पल मृणाल कवियों ने अपनी कविताओं से ख़ुश नुमा माहोल बना दिया

कवि सम्मेलन में छात्र /छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिसा लिया,संस्था के अध्यक्ष डॉ धीरेंद्र कुमार और सचिव के के तिवारी  ने दीप प्रज्वलन के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया  डॉ धीरेंद्र कुमार ने आए हुए अतिथियों एवं रचनाकारों का स्वागत एवं अभिनंदन, स्मृति चिन्ह देकर  किया।

सचिव के के तिवारी ने कहा कि रचनाकारों की रचनाओं से समाज के अंदर एक नई चेतना पैदा होती है।  लखनऊ से पधारी ओज की प्रखर हस्ताक्षर कविता तिवारी ने मां सरस्वती की वंदना कर जब काव्य पाठ किया तो श्रोतागण आह्लादित हो उठे।उन्होंने पढ़ा।शांत भाव में चन्द्र सरीखी,दग्ध हुई तो सविता हूँ। कभी अगर पढ़कर देखोगे,तब समझोगे कब क्या हूँ।। चाटुकारिता किसी शब्द में कभी नहीं आ सकती है। अजर-अमर हर कालखण्ड में,मैं भारत की कविता हूँ।।  हाथरस से पधारे गीतों के राजकुमार डॉ. विष्णु सक्सेना ने जब अपने गीतों को पढ़ा तो श्रोतागण मंत्र मुग्ध हो गए। उन्होंने पढ़ा। जो  होगा प्रेम में डूबा,वो दिल से गुनगुनायेगा,नजर का तीर ऐसा हैजिगर के पार जाएगा,उर्दू अदब की प्रख्यात सायरा कानपुर से पधारी शबीना अदीब में अपने गजलों से श्रोताओं को भाव विभोर कर डाला। उन्होंने पढ़ा।

अंधेरों की हर एक साजिश यहां ना काम हो जाए, उजाले हर तरफ हो रोशनी का नाम हो जाए भोपाल से पधारी श्रृंगार की श्रेष्ठ कवियत्री मणिका दुबे ने अपने गीतों एवं मुक्तकों से  श्रोताओं का दिल जीत लिया। शहर के शोर में वीरानियाँ हैं ,यहाँ तुम हो मगर तनहाइयाँ हैं बिहार की धरती से पधारे श्रेष्ठ गीतकार नीलोत्पल मृणाल ने अपने गीत और छंदों से श्रोताओं को आह्लादित कर डाला।उन्होंने पढ़ा। हम मिट्टी के लोग हैं बाबू मिट्टी ही सदा उड़ाएंगे संचालन कर रहे प्रयागराज की प्रख्यात गीतकार शैलेंद्र मधुर ने अपनी गीतों और गजलों से श्रोताओं को मंत्रम मुक्त कर डाला।होंठ खामोशी से पथराव भी कर सकते हैं,लोग अल्फाज की इक चोट से मर सकते हैं।हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी जी ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भरपूर हंसाया। उन्होंने पढ़ा ।" हम अपना दर्द बाटें या न बाटें पर हॅसी बाटें

इस अवसर पर प्रभास द्विवेदी (पूर्व उप कुल सचिव पीआरएसयू  प्रयागराज),आनंद प्रकाश पांडेय,राजेंद्र मिश्रा और प्रकाश चंद्र गुप्ता उपस्थित रहे। 

संस्थान से डॉ मलय तिवारी,डॉ.अन्शुमान श्रीवास्तव,डॉ.मनोज मिश्रा,डॉ.रजनी त्रिपाठी,डॉ.जी. पी.मिश्रा,डॉ.श्वेता रानी सी एम्,डॉ. आर.के. तिवारी अभिषेक शुक्ला, प्रो.जे.पी.मिश्रा,डॉ.कृतिका सिंह, प्रो. आशुतोष पांडेय, विकाश गुप्ता, कुलदीप कुमार सिंह, नीरज कुमार सिंह,सौरभ कुमार त्रिपाठी, प्रो. पंकज तिवारी, के पी तिवारी, कल्चरल कमिटी से प्रशांत अवस्थी, नामीर-अल-हसन,विकाश गुप्ता,रोहित प्रसाद,विपिन शुक्ला,प्रज्ञा सिंह, गौरव सिंह, कुलदीप सिंह, कुमकुम शुक्ला, निमेश कुमार दुबे, मुकेश कुमार सिन्हा, साक्षी छाबरा,तरु तिवारी,अभिषेक मिश्रा, सत्यम शुक्ला,ओ. पी. गर्ग, प्रो.सन्दर्भ शुक्ला,गौरव सिंह,सौरभ मिश्रा,ज्ञानेश कुमार,प्रशांत श्रीवास्तव,प्रवीन त्रिपाठी,आशीष यादव,बेबी जयसवाल और डॉ.नितिन द्विवेदी आदि उपस्थित रहे |