पराक्रमशीलता व युद्धकला में प्रवीण थीं अहिल्याबाई होलकर: आलोक कुमार
पराक्रमशीलता व युद्धकला में प्रवीण थीं अहिल्याबाई होलकर: आलोक कुमार
सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने किया अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह का शुभारम्भ
लखनऊ, 24 नवंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने रविवार को सीएमएस विद्यालय गोमतीनगर में दीप प्रज्ज्वलित कर लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह का उदघाटन किया। इस अवसर पर सह सरकार्यवाह आलोक कुमार,लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय राजे होलकर व डा. माला ठाकुर ने अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर लगी प्रदर्शनी का भी उदघाटन किया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन सबके लिए प्रेरणादायी है। उनका पराक्रम अद्भुत था। वह कुशल रणनीतिकार, पराक्रमशीलता व युद्ध कला में प्रवीण थीं।सह सरकार्यवाह ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर सती प्रथा की विरोधी थीं। वह त्याग की प्रतिमूर्ति थीं। उन्होंने साड़ी का उद्योग महेश्वर में शुरू कराया। युद्ध में जो सैनिक बलिदान हो जाते थे, उनकी विधवा महिलाओं के लिए रोजगार का सृजन किया। उन्होंने सिंचाई के संसाधन विकसित किया और उपज बढ़ाने के लिए काम किया। अहिल्याबाई होल्कर ने राजस्थान से पत्थर काटकर मंदिर बनाने वालों को लाकर बसाया और उनको भूमि दी। उनका चरित्र विशिष्ट था और दूरदर्शी सोच वाली महिला थीं। उस समय युद्ध के दौरान बलिदान हो जाने वाले सैनिक के आश्रितों को एक मुफ्त राशि देने और पेंशन की योजना शुरू की पेंशन देने की योजना शुरू की। आलोक कुमार ने कहा कि जिस समय पश्चिम सोच भी नहीं सकता था, उस समय भारत में अहिल्याबाई लक्ष्मीबाई और दुर्गावती जैसी महान वीरांगनाएं थीं।
सामाजिक समरसता का श्रेष्ठ उदाहरण अहिल्याबाई होल्कर का जीवनलोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति की राष्ट्रीय सचिव डाॅ. माला ठाकुर ने कहा कि आज जब समाज को कुछ लोग जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर बांटने का काम कर रहे हैं, वहीं उस कालखंड में लोकमाता अहिल्याबाई न सिर्फ समाज की दशा और दिशा निर्धारण का काम कर रही थीं बल्कि वह सामाजिक समर्थन का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही थी। लोकमाता जब भोजन करती थीं तो वह समाज के सभी वर्ग के लोगों के साथ बैठकर एक साथ एक पंक्ति में भोजन करती थीं। उनके समय किसी के साथ कभी जाति के आधार पर भेदभाव नहीं हुआ। इससे बड़ा सामाजिक समरसता का कोई उदहारण नहीं मिलता। आज यह भारत जागरण का समय है, जहां हमें कुरीतियों से बाहर निकलकर सामाजिक समरसता के माध्यम से एक और संगठित होना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय राजे होलकर ने कहा कि उनके जीवन में समरसता का भाव था। अहिल्याबाई ने महेश्वर राज्य की सीमा को लांघते हुए पूरे देश में उन्होंने काम किया। समिति के माध्यम से अहिल्याबाई के जीवन को जन—जन तक पहुंचाने का महान कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा है। लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति अवध प्रान्त के संरक्षक व बावन मंदिर अयोध्या के महंत वैदेही बल्लभ शरण महाराज ने कहा कि समिति अवध प्रान्त के सभी जिलों में वर्षभर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। उन्होंने बताया कि साधु संतों व धर्माचार्यों के बीच अयोध्या व नैमिषारण्य में बड़े कार्यक्रमों की योजना बनी है। इसके अलावा घाटों की सफाई,सेवा बस्ती में कार्यक्रम, किसानों के बीच कार्यक्रम, प्रबुद्ध नागरिक संगोष्ठी व विश्वविद्यालयों में संगोष्ठी होगी। इसके अलावा महिलाओं व युवाओं को केन्द्रित कर कार्यक्रम किए जाएंगे।
कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों ने समरसता पाथेय और अहिल्याबाई होलकर पुस्तक का भी विमोचन किया। अहिल्याबाई होल्कर पुस्तक गरिमा मिश्रा ने लिखी है। समरसता पाथेय का संपादन अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति के सदस्य बृजनंदन राजू ने किया है। कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक बेरी, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल, अवध प्रान्त के प्रान्त प्रचारक कौशल, वरिष्ठ प्रचारक वीरेन्द्र सिह, क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत, प्रान्त प्रचार प्रमुख डाॅ. अशोक दुबे,अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह के प्रान्त संयोजक राजकिशोर, सह संयोजक डाॅ. बिपिन द्विवेदी, विश्व संवाद केंद्र के प्रमुख डॉ. उमेश, भारत सिंह, विभाग प्रचारक अनिल प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र सेविका समिति की प्रात कार्यवाहिका यशोधर और प्रशांत भाटिया ने आभार व्यक्त किया ।
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